- बड़ी बड़ी तांत्रिक पूजाएं इस रात्रि में की जाती हैं
- इस दिन बलि दी जाती है। बलि पूर्णतया सात्विक होती है
- जो लोग रोग से परेशान हैं वो इस रात्रि को नदी के तट पर स्थित शिव मंदिर पर विशेष पूजा कर सकते हैं
अष्टमी जिस रात्रि को प्राप्त हो उसी तिथि की रात्रि में महानिशा पूजा की जाती है। यह तांत्रिक पूजा के लिए बहुत ही श्रेष्ठ समय है। बड़ी बड़ी तांत्रिक पूजाएं इस रात्रि में की जाती हैं। माता काली, माता लक्ष्मी तथा माता सरस्वती किसी की भी भक्ति की सिद्धि इस रात्रि में की जा सकती है।
इस दिन बलि दी जाती है। बलि पूर्णतया सात्विक होती है। नारियल की ही बलि दी जाती है। आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज के अनुसार महानिशा पूजन की कुछ मुख्य बातें-
महानिशा पूजन की कुछ मुख्य बातें
- मुख्यतया इस रात्रि में माता दुर्गा की पूजा तथा काली पूजा की जाती है। माता को प्रसन्न करने के लिए तांत्रिक पूजाएं कुछ विशेष विधि से की जाती है। माता काली के स्थान पर हवन पूजन इत्यादि होता है। बलि में नारियल की बलि दी जाती है। दुर्गासप्तशती के कुछ विशेष पृष्ठों का पाठ होता है।
- राजनीतिज्ञ लोग अपने विजय के लिए इस रात्रि बंगलामुखी अनुष्ठान भी करवा सकते हैं। पीत वस्त्रों में कुश के आसन पर तथा हल्दी की माला से इसका वृहद अनुष्ठान तांत्रिक इस रात्रि करते हैं।
- जो लोग रोग से परेशान हैं वो इस रात्रि को नदी के तट पर स्थित शिव मंदिर पर विशेष पूजा कर सकते हैं। साबर मंत्र का प्रयोग भी तांत्रिक करते हैं। महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग भी कर सकते हैं।
- माता काली को प्रसन्न करने के लिए यह रात्रि बहुत ही उपयुक्त है। कुछ तांत्रिक माता का भोग प्रसाद वहीं मंदिर में ही पकाते हैं।इस रात्रि सिद्धिकुंजिकस्तोत्र का पाठ 18 बार करके सप्तश्लोकी दुर्गा तथा बंगलामुखी मंत्र पढ़कर माता को प्रसाद अर्पित कर भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया जाता है। आज की रात्रि माता काली से कई सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं।
- इस रात्रि दुर्गासप्तशती के पाठ के साथ साथ श्री सूक्त का भी पाठ करके धन, पद तथा प्रतिष्ठा की प्राप्ति की जा सकती है। ऋग्वैदिक श्री सूक्तं का पाठ करके हवन करने से धन का आगमन होता है।
- इस रात्रि कई यंत्र भी तांत्रिक बनाते हैं तथा उसे ताबीज में भरकर धारण किया जा सकता है।
इस प्रकार महानिशा में पूजा का लाभ लेकर अपने जीवन को धन्य करें। माता काली को प्रसन्न करके कई तांत्रिक साधना से माता से मनोवांछित फल की प्राप्ति भी कर सकते हैं। बंगलामुखी अनुष्ठान से विजय की प्राप्ति कर सकते हैं। निष्कर्षतः महानिशा पूजन प्रत्येक साधकों को करना चाहिए क्योंकि साधना करने से आपमें आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होगा।