मार्गशीर्ष का महीना बहुत ही पवित्र तथा भगवान श्री कृष्ण को समर्पित मास होता है। यह माह भक्ति तथा सम्पूर्ण समर्पण से भगवान श्री कृष्ण जी के प्रति श्रद्धा भाव अर्पित करने का है। इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या दिनांक 26 नवंबर 2019 को है।
पितरों की शांति के लिए पितृ अमावस्या का महत्व
जो लोग पितरों की आत्मा को शांति या मोक्ष देने चाहते हैं उनके लिए यह अमावस्या वरदान है। इस अमावस्या को व्रत रखकर विशेष पूजा पाठ करके भंडारा करना चाहिए। जिनके पितरों में किसी की कभी अकाल मृत्यु हुई है वो इस दिन विशेष तांत्रिक अनुष्ठान भी कर सकते हैं। त्रिपिंडी श्राद्ध भी करवा सकते हैं। जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष हो वो इस दिन त्रिपिंडी श्राद्ध करके उसकी शांति करवा सकते हैं।
भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने का ये समय है उत्तम
गीता में भगवान कृष्ण ने अपने को माहों में मार्गशीर्ष कहा है। इस दिन गीता का पाठ करना चाहिए। श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ विशेष फलदायी है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके दान पुण्य करना चाहिए। संकटों से मुक्ति के लिए श्री रामचरितमानस में सुंदरकांड का पाठ करना बहुत ही लाभकारी होता है। इस दिन नदी में स्नान करते समय गायत्री मंत्र का जप करते रहें तथा स्नान के उपरांत नदी के तट पर पवित्र आसन पर बैठकर गीता का पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यमुना स्नान का है विशेष महत्व
भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों से यमुना स्नान की महत्ता बताई है। भगवान ने गोपियों से अपनी भक्ति प्राप्त करने का सबसे सहज तथा सरल तरीका मृगशिरा मास में यमुना स्नान बताया है। इस अमावस्या को स्नान का विशेष फल प्राप्त होगा।
शुभ मुहूर्त-
1. अभिजीत- 11:48 am से 12:30 pm
2. अमृत काल- 10:20 pm से 11:51 pm
3. विजय मुहूर्त- 01:52 pm से 02:34 pm
निशा मुहूर्त में करें तांत्रिक अनुष्ठान तथा माता काली पूजा- रात्रि 11 बजकर 42 मिनट पूरी रात्रि तक पूजा हो सकती है
विजय मुहूर्त में करवाएं बंगलामुखी अनुष्ठान- राजनीति में विजय प्राप्ति हेतु तथा किसी भी प्रकार की बाधाओं को समाप्त करने के लिए विजय मुहूर्त में बंगलामुखी पूजा आरंभ कराकर सकुशल विधिवत सम्पन्न कराने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
अभिजीत तथा अमृत काल में करें विष्णु पूजा- इस शुभ मुहूर्त में बृहस्पति तथा चंद्रमा के बीज मंत्र का जप करें। महामृत्युंजय मंत्र भी फलदायी है। इस समय श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ बहुत लाभ देता है।