- मासिक शिवरात्रि के दिन मंदिर में जाकर करें पूजा
- इस दिन भगवान शिव को धतूरा और कनैल का फूल चढ़ाएं
- दीपक जला कर ही करना चाहिए शिव स्तुति पाठ
शिव पुराण में लिखा है कि सर्वप्रथम शिवलिंग की पूजा भगवान विष्णु और ब्रह्माजी ने की थी। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव, शिवलिंग के रूप में उदभव हुए थे और इसके बाद से ही फाल्गुन मास की चतुर्थी के दिन से महाशिवरात्रि और हर मास की चतुर्थी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाने लगी। पुराणों में उल्लेख है कि मासिक शिवरात्रि किसी भी मास से शुरू नहीं होती, बल्कि इसकी शुरुआत हमेशा महाशिवरात्रि के दिन से की जाती है।
मासिक शिवरात्रि कई मनोकामनाओं की पूर्ति और कष्टों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। अगर व्रत के नियमों का पालन सही से किया जाए तो इससे हर असंभव कार्य भी आसानी से हो जाते हैं।
जानें, मासिक शिवरात्रि के नियम
- स्नान-ध्यान से मुक्त हो कर व्रत और पूजा का संकल्प लें और मंदिर में शिवलिंग और शिव परिवार की पूजा करें।
- मासिक शिवरात्रि का व्रत हमेशा प्रदोष काल में करें, तभी ये पुण्य फल देता है।
- शिवजी की पूजा में हमेशा बेलपत्र और धतुरे का इस्तेमाल जरूर करें, क्योंकि ये दो चीजें उन्हें बेहद प्रिय हैं।
- शिवलिंग पर बेलपत्र से जल का छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से शिवजी का क्रोध शांत हो जाता है। इसलिए शिवजी को प्रसन्न करने के लिए पूजा के समय ऐसा जरूर करें।
- शिवलिंग पर पूजा के समय चंदन का टीका जरूर लगाएं। इससे भक्त का मन भी शांत होता है।
- भगवान भोलेनाथ पर धतूरे, कनैल का फल चढ़ाएं। सफेद या नीले फूल भगवान पर चढ़ाने से आपकी मनोकामना पूर्ण हो सकती है।
- भोलेनाथ के सामने धूप-दीप जलाना बेहद फलदायी होता है। जब भी शिवपाठ करें, सामने धूप-दीप जला कर ही करें।
- भगवान के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य के जीवन में आए सारे कष्ट दूर होते हैं।
- भगवान भोलेनाथ की पूजा में पान के पत्ते को जरूर चढ़ाएं। पान का पत्ता जीवन में संतुष्टि प्रदान करता है।
नियमों का पालन कर के ही व्रत को पूर्ण किया जा सकता है। इसलिए मासिक शिवरात्रि पर विधि पूर्वक पूजा पाठ करें और नियमों का पालन करें।