- दुर्गा सप्तशती में 700 श्लोक हैं जो संस्कृत में हैं
- श्लोक का उच्चारण बिल्कुल ध्यान से करना चाहिए
- पाठ करने से पहले अपने मन को हमेशा शांत और स्थिर रखें
Navratri Durga Saptashati Paath: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 29 सितंबर से हो चुकी है। पहले दिन मां के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा होती है और इसी दिन घटस्थापना की भी परंपरा है। इस दौरान पूरी श्रद्धा के साथ मां का विधिवत पूजन कई तरह के दोषों से मुक्त करने के साथ ही शुभ फल देने वाला भी होता है। नवरात्रि के दौरान न सिर्फ खान-पान और विचार शुद्ध होने चाहिये बल्कि दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करना अनिवार्य है।
मां को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि में देवी के नौ अलग-अलग रूपों की आराधना और प्रत्येक दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का विधान है। मगर ध्यान रखें कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय कुछ नियमों का पालन जरूर करें। यहां जानें दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है...
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले रखें इन बातों का ख्याल
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले पुस्तक को लाल रंग के कपड़े पर रखें और फिर उस पर अक्षत और फूल चढ़ा कर पाठ शुरु करें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले शापोद्धार करें। माना जाता है कि दुर्गा सप्तशती का हर मंत्र, ब्रह्मा, वशिष्ठ और विश्वामित्र जी द्वारा शापित किया गया है
- नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और बाद में नर्वाण मंत्र ''ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे'' का पाठ करना जरूरी होता है।
- इसका पाठ करते समय कभी भी शब्दों को उल्टा पुल्टा न बोलें। न ही उसकी शब्दों का हेर-फेर करें।
- मंत्रों का उच्चारण बिल्कुल सही होना चाहिये। पाठ करने से पहले अपने मन को हमेशा शांत और स्थिर रखें।
- पाठ खत्म हो जाने के बाद अंत में मां दुर्गा से अपनी भूलचूक के लिये क्षमा प्रार्थना जरूर मांगे।
दुर्गा सप्तशती का एक दिन में पूरा पाठ न कर सकें, तो एक दिन केवल मध्यम चरित्र का और दूसरे दिन शेष 2 चरित्र का पाठ करे। दूसरा विकल्प यह है कि एक दिन में अगर पाठ न हो सके, तो एक, दो, एक चार, दो एक और दो अध्यायों को क्रम से सात दिन में पूरा करें।