- मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है
- ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है
- देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है
नवरात्रि में 9 दिनों में आदिशक्ति दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर शक्तिस्वरूपा भक्तों को अलग-अलग वरदान देती है और भक्त अपनी मनोकामनाओं के अनुसार माता को कि विशेष पूजा और उनके पसंदीदा भोग लगा कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। नवरात्र के 9 दिनों में मां दुर्गा के इन स्वरूपों की क्रमश पूजा की जाती है। पहला शैलपुत्री, दूसरा ब्रह्मचारिणी, तीसरा चंद्रघंटा, चौथा कूष्मांडा, पांचवां स्कंदमाता, छठा कात्यायनी, सातवां कालरात्रि, आठवां महागौरी और नौवां सिद्धिदात्री की पूजा होती है।
नवरात्रि का दूसरा दिन दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप को अर्पित होता है। ये देवी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं और इससे मंगलदोष नाश होता है। मां को प्रसन्न करने के लिए उनको शक्कर का भोग लगाना चाहिए। इससे परिवार में लोगों की उम्र में वृद्धि भी होती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली है। मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में कमण्डल होता है।
छात्रों और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी है, जिनका चन्द्रमा कमजोर हो तो उनके लिए मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करना अनुकूल होता है।
बुद्धि बढ़ाने के लिए मां ब्रह्मचारिणी को इस मंत्र से करें प्रसन्न -
'विद्याः समस्तास्तव देवि भेदाः स्त्रियः समस्ताः सकला जगत्सु। त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुतिः स्तव्यपरा परोक्तिः।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के नियम
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते वक्त पीले या सफेद वस्त्र पहनें। उन्हें सफेद वस्तुएं अर्पित करें जैसे- पंचामृत, मिश्री या शक्कर। दूसरे दिन "ऊं ऐं नमः" का जाप करें।