- ज्येष्ठ शुक्ल में पड़ने वाली एकादशी कहलाती है निर्जला एकादशी, भीमसेन और पांडव एकादशी।
- बेहद कठिन होता है निर्जला एकादशी व्रत, देता है समस्त एकादशियों का फल एक साथ।
- व्रत रखने वाले भक्तों को करना चाहिए नियम पालन, महर्षि वेदव्यास ने बताया है महत्व।
Nirjala Ekadashi 2021 Vrat Niyam in Hindi: इस ब्रह्मांड के पालनहार भगवान श्री विष्णु त्रिदेवों में से एक हैं। हर वर्ष भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए लोग कई व्रत करते हैं, जिनमें एकादशी का व्रत सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि जो भक्त मोक्ष, परम धाम तथा जीवन सफल करने वाले पुण्य प्राप्त करना चाहते हैं, उसे एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। प्रत्येक माह में दो एकादशी व्रत होते हैं जो कृष्ण और शुक्ल पक्ष में पड़ते हैं। वैसे तो वर्ष में पड़ने वालीं सभी 24 एकादशियों का विशेष महत्व है मगर ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी सबसे उत्तम मानी जाती है।
ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। इसे भीमसेन, भीम और पांडव एकादशी भी कहा जाता है। ज्ञानी पंडित बताते हैं कि यह एकादशी व्रत समस्त एकादशियों में से सबसे कठोर व्रत है क्योंकि इस दिन व्रत प्रारंभ करने से ले कर व्रत पारण करने तक जल का एक बूंद भी ग्रहण नहीं किया जाता है।
यह व्रत करने वाले व्यक्ति को सभी नियम अवश्य पालन करने चाहिए। पौराणिक मान्यतानुसार, वेदव्यास जी ने खुद इस व्रत का महत्व बताया जिनके कहने पर महाबली भीम ने भी यह व्रत किया था। इसलिए निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी या भीम एकादशी भी कहा जाता है।
जो भक्त यह व्रत करते हैं उनके सभी पाप मिट जाते हैं तथा उनको पुण्य की प्राप्ती होती है। इसके साथ कहा जाता है कि जो भी ज्येष्ठ शुक्ल की निर्जला एकादशी का व्रत रखता है तथा संपूर्ण करता है उसे समस्त एकादशियों का फल प्राप्त होता है।
यहां जानें निर्जला एकादशी के व्रती को किन नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।
निर्जला एकादशी व्रत तथा मुहूर्त
निर्जला एकादशी व्रत: - 21 जून 2021
एकादशी तिथि प्रारंभ: - 20 जून 2021 शाम 04:21
एकादशी तिथि समाप्त: - 21 जून 2021 दोपहर 01:31
पारन मुहूर्त: - 22 जून 2021 सुबह 05:13 से 08:01 तक
निर्जला एकादशी के व्रत नियम (Nirjala Ekadashi 2021 vrat ke niyam)
पानी पीना है वर्जित:
इस व्रत के नाम से ही यह पता चलता है कि इस व्रत के दौरान पानी नहीं पीना चाहिए। निर्जला एकादशी का पहला नियम है कि व्रत प्रारंभ होने से ले कर पारण करने तक पानी पीना वर्जित है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस व्रत के नियम दशमी से लेकर द्वादशी तिथि तक माने जाते हैं।
ना करें दशमी से इन चीजों का सेवन:
जानकार बताते हैं कि जो भी भक्त यह व्रत करना चाहते हैं उन्हें दशमी तिथि को लहसुन, प्याज और तामसिक भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। इस दिन सूर्यासेत के बाद से भोजन ग्रहण ना करें ताकि व्रत के दिन आपका पेठ खाली रहे और उसमें अन्न मौजूद ना रहे।
शुभ मुहूर्त में करें व्रत पारण:
हर एक एकादशी व्रत का पारण शुभ मुहूर्त पर करना लाभदायक माना गया है। इसीलिए निर्जला एकादशी व्रत का पारण भी शुभ मुहूर्त पर करें। एकादशी व्रत का पारण हमेशा हरिवासर के बाद करना चाहिए। याद रहे कि निर्जला एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के बाद ना हो क्योंकि यह वर्जित है।
व्रत के दौरान रहें शांत:
एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को शांत रहना चाहिए, इस दिन क्रोध करने से बचें। द्वादशी तिथि पर पारण करने के बाद स्नानादि कर लें फिर भगवान विष्णु की पूजा करें और भोग लगाने के बाद ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें। एकादशी व्रत पारण के बाद किसी जरूरतमंद की मदद करना तथा दान देना बहुत हितकारी माना जाता है।
दशमी तिथि पर जमीन पर सोएं:
इस व्रत का तीसरा नियम यह है कि दशमी तिथि पर व्रत करने वाले व्यक्ति को जमीन पर सोना चाहिए और एकादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर तथा नित्य क्रियाओं से निवृत हो कर और स्नानादि करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। निर्जला एकादशी व्रत विधान के अनुसार, एकादशी पर लोगों को रात्रि जागरण करना चाहिए, आप रात्रि में भजन-कीर्तन भी कर सकते हैं।