- भगवान शिव और पार्वती की कृपा पाने के लिए रखा जाता है प्रदोष व्रत
- आध्यात्मिक उत्थान और इच्छाओं को पूरा करने में भी है मददगार
- यहां जानिए व्रत के महत्व से शुभ मुहूर्त तक जरूरी बातें
नई दिल्ली: प्रदोष व्रत, जिसे दक्षिण भारत में प्रदोषम के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव और देवी पार्वती की कृपा पाने के लिए रखा जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार मनाया जाता है। यह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि (13 वें दिन) में मनाया जाता है। जब प्रदोषम सोमवार को पड़ता है, तो इसे सोम प्रदोषम कहा जाता है और जब यह मंगलवार को पड़ता है, तो इसे भूमा प्रदोषम कहा जाता है।
यदि प्रदोषम शनिवार को पड़ता है, तो इसे शनि प्रदोषम कहा जाता है। इस महीने का प्रदोष व्रत 18 जून, 2020 को पड़ेगा। प्रदोष व्रत पूर्णिमा और अमावस्या के 13वें दिन मनाया जाता है। भगवान शिव के आराधना करने वाले उपासक इस दिन उपवास रखते हैं और उनका आशीर्वाद भी मांगते हैं।
हिंदू पवित्र ग्रंथों के अनुसार, यह माना जाता है कि देवी पार्वती के साथ भगवान शिव इस शुभ दिन पर बेहद उदार और प्रसन्न होते हैं। इस मौके पर लोग दिव्य आशीर्वाद लेने और मुक्ति और मोक्ष पाने के लिए पूजा करते हैं।
जो इस दिन उपवास रखता है, वह धन, संतोष और अच्छा स्वास्थ्य पाते हैं। हिंदू कैलेंडर में पवित्र हिंदू उपवासों में से एक है और जीत और साहस का प्रतीक है। अगर आप शांति और मानसिक स्पष्टता चाहते हैं तो भी प्रदोष व्रत मददगार है और समृद्धि, साहस और भय को दूर करने में मदद कर सकता है।
प्रदोष व्रत तिथि 2020
इस महीने, प्रदोष व्रत 18 जून, 2020 (गुरुवार) को मनाया जा रहा है।
प्रदोष व्रत 2020 का शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 18 जून, सुबह 9:39 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 19 जून, सुबह 11:01
प्रदोष पूजा का समय: जून 18, 7:10 PM - जून 18, 9:17 PM
इस प्रकार, प्रदोष व्रत का पालन आध्यात्मिक उत्थान और इच्छाओं को पूरा करने में भी मददगार माना जाता है। व्रत आपको भरपूर आशीर्वाद देगा और सौभाग्य में भी वृद्धि लाएगा। इस दिन उपवास रखने का भी बहुत महत्व है क्योंकि भगवान शिव लोगों को सभी चिंताओं और दुखों से मुक्त करते हैं।