- चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाई जाती है राम नवमी
- त्रेता युग में राजा दशरथ के यहांअयोध्या में श्री रामचंद्र का हुआ था जन्म
- राम नवमी पर भगवान राम की पूजा और उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए
नई दिल्ली: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि भगवान श्रीराम को समर्पित है क्योंकि त्रेता युग में इसr दिन भगवान श्री रामचंद्र का जन्म हुआ था। भगवान श्रीराम का जन्म सूर्यवंशी इक्ष्वाकु वंश में माता कौशल्या देवी के कोख से हुआ था।
पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक भगवान श्रीराम को भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। इस दिन भगवान श्री राम की पूजा विधि विधान से की जाती है। पुत्रेष्टि यज्ञ करने के बाद राजा दशरथ ने यज्ञ से प्राप्त हुए खीर को माता कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी को खिला दिया था।
इस खीर वाले प्रसाद को ग्रहण करने से चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। इस दिन भगवान श्री राम की पूजा करने से तथा उनके मंत्रों का जाप करने से भगवान श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
भगवान श्रीराम का मंत्र
राम
जानकार बताते हैं कि राम नाम ही श्रेष्ठ सिद्ध मंत्र है। जो भक्त रोजाना राम नाम का जप करता है वह हर परेशानी से दूर रहता है। राम नवमी पर राम नाम का जप विशेष रूप से कल्याणकारी होता है।
ॐ रां रामाय नमः
माना जाता है कि जो भक्त इस मंत्र का जाप करता है भगवान श्रीराम उसकी सभी विपदाएं हर लेते हैं दूर कर देते हैं।
ॐ रामचंद्राय नमः
राम नवमी पर इस मंत्र का जाप करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है एवं भगवान श्रीराम का आशीर्वाद मिलता है।
ॐ रामभद्राय नमः
इस मंत्र का जाप राम नवमी पर 108 बार करना चाहिए। इस सिद्ध मंत्र का जाप करने से सभी तकलीफें दूर हो जाती हैं तथा भगवान श्री राम की कृपा सदैव बनी रहती है।
ॐ जानकी वल्लभाय स्वाहा
कहा जाता है कि राम नवमी पर माता सीता को याद करना अत्यधिक लाभदायक होता है। जो भक्त इस मंत्र का जाप करता है उसे भगवान राम और माता सीता वरदान देते हैं।