- देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का विधान है
- इस दिन पूरे विधि विधान से तुलसी पूजा करने पर घर में खुशहाली आती है
- इस साल तुलसी विवाह 9 नवंबर को मनाया जाएगा
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का विधान है। इस दिन पूरे विधि विधान से तुलसी पूजा करने पर घर में खुशहाली आती है। इस दिन से ही शादी-विवाह का लग्न शुरू हो जाता है। भगवान विष्णु 4 महीने सोने के बाद इस दिन उठते हैं। इसीलिए इसे देवउठनी एकादशी कहते हैं। इस साल तुलसी विवाह 9 नवंबर को मनाया जाएगा।
तुलसी जी का विवाह शालिग्राम के साथ करवाया जाता है। कुछ लोग तुलसी विवाह मंदिर में जा कर करते हैं और कई लोग पंडित जी को घर पर बुलाकर तुलसी विवाह करवाते हैं। मगर बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो दोनों में से एक भी काम नहीं कर पाते इसलिये यहां घर पर स्वंय तुलसी विवाह कैसे किया जाए, इसके बारे में जानकारी दी जा रही है। जानें कैसे कर सकते हैं घर पर तुलसी विवाह....
घर पर कैसे करें तुलसी का विवाह
- शाम के समय जब भी तुलसी विवाह करें उससे पहले तुलसी के गमले के पास गेरु से रंगोली बनाएं।
- फिर गन्ने की मदद से मंडप सजाएं।
- दो चौकी रखें जिस पर तुलसी का गमला और दूसरी चौकी पर शालिग्राम या भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
- शालिग्राम के दाईं ओर तुलसी जी स्थापित करें।
- शालिग्राम वाली चौकी पर अष्टदल कमल बनाएं और उस पर कलश की स्थापना करें और उस पर स्वास्तिक बनाएं।
- इसके बाद आम के पत्तों पर रोली से तिलक करके उसे कलश पर स्थापित करके उस पर लाल कपड़े में लपेटकर नारियल को रखें।
- तुलसी के समाने घी का दीपक जलाएं। फिर तुलसी का विवाह कराएं।
- इसके बाद गंगाजल में फूल डुबोकर ऊं तुलसाय नम: मंत्र का जाप करते हुए गंगाजल का छिड़काव तुलसी जी पर करें।
- फिर उसी फूल और गंगाजल से शालिग्राम पर छिड़कें।
- इसके बाद तुलसी जी को रोली और शालिग्राम को चंदन का तिलक करें।
- तुलसी जी को लाल चुनरी पहनाएं। उन्हें चूड़ी पहनाएं और सुहाग के समान में से थोड़ी थोड़ी चीजें लगाएं।
- शालिग्राम को पंचामृत से स्नान कराएं और इन्हें पीला कपड़ा अर्पित करें।
- कलश पर फूल चढ़ा कर तुलसी और शालिग्राम पर भी फूल चढ़ा कर माला पहनाएं।
- फिर कपड़े में सुपारी ,फूल, इलायची और थोड़ी दक्षिणा रखनी है।
- घर के किसी पुरुष को शालिग्राम जी को हाथ में उठाकर तुलसी जी की सात बार परिक्रमा करवाएं।
- सात बार परिक्रमा करके तुलसी जी को शालिग्राम के बाईं और स्थापित करें।
- शालिग्राम जी को तिल अर्पित कर के कपूर जलाएं और धूप और दीप जलाकर विष्णु जी की आरती उतारें।
- तुलसी की पूजा कर दोनों को मिठाई और खीर पूरी का भोग लगाएं।
- पूजा खत्म होने के बाद पूजा का सारा समान और तुलसी का पौधा मंदिर में दे आएं।
यदि आप बताई गई इस विधि से पूजा करेंगे तो आपको विष्णु जी के साथ साथ तुलसी जी का भी आर्शिवाद प्राप्त होगा।