- उत्पन्ना एकादशी के दिन माता एकादशी का हुआ जन्म
- इस दिन विधि-विधान से माता एकादशी की पूजा कर हो सकते हैं पापों से मुक्त
- एकादशियों में श्रेष्ठ है यह एकादशी
भारत वर्ष में सनातन संस्कृति को व्रत त्योहारों और पर्वों की संस्कृति कहा जाता है। हिंदु धर्म में सभी तिथियों का अपना एक अलग महत्व है और सभी तिथियां देवी-देवताओं से संबंधित है। इन तिथियों में कुछ तिथियों को उपवास करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इनमें से कुछ विशेष तिथि और उस दिन किया जाने वाला व्रत एकादशी का है।
शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजापाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। एक वर्ष में कुल 24 एकादशी होती हैं जो अलग अलग नामों से जानी जाती हैं। इनमें से ही एक विशेष एकादशी होती है, जिससे आप एकादशी व्रत की शुरुआत कर सकते हैं।
उत्पन्ना एकादशी 2020 तिथि (Utpanna Ekadashi 2020 Date)
मार्गशीर्ष माह की इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी सभी एकादशियों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इस बार यह एकादशी 10 दिसंबर से 11 दिसंबर तक है। आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त और महत्व।
उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त (Utpanna Ekadashi 2020 Muhurat, Time)
एकादशी तिथि प्रारंभ- दिसंबर 10, 2020 को दोपहर 12:51 बजे से
एकादशी तिथि समाप्ति- दिसंबर 11, 2020 को सुबह 10:04 बजे तक
पारण का समय और तिथि – दिसंबर 11,2020 को दोपहर 1:17 से 3:21 तक
हरिवासर समाप्त होने का समय – पारण के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय- दोपहर 3 बजकर 18 मिनट पर है।
उत्मन्ना एकादशी का महत्व (Utpanna Ekadashi ka mahatva)
इस एकादशी का सनातन धर्म में विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन माता एकादशी का जन्म हुआ था। जो लोग एकादशी के व्रत की शुरुआत करना चाहते हैं उनके लिए यह एकादशी श्रेष्ठ है। मान्यता है कि इस दिन माता एकादशी ने मुर नामक राक्षस का वध कर धरती को पापों से मुक्त किया था। आपको बता दें माता एकादशी भगवान विष्णु की शक्ति का एक रूप हैं।
इस दिन आप विधि विधान से माता एकादशी और जगत के पालन हार श्री हरि भगवान विष्णु की पूजा कर सभी पापों से मुक्त हो सकते हैं और जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही माता एकादशी, भगवान विष्णु और धन और वैभव की देवी माता लक्ष्मी की कृपा आप पर हमेशा बनी रहती है।
उत्पन्ना एकादशी व्रत पूजा विधि (Utpanna Ekadashi Vrat Puja Vidhi)
यह व्रत दो प्रकार से रखा जाता है। एक तो निर्जला और दूसरा फल ग्रहंण करके। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि एकादशी के दिन आप गंगा स्नान कर सभी पापों से मुक्त हो सकते हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय से पहले स्नान कर भगवान विष्णु और माता एकादशी की पूजा करें।
इसके बाद पीपल के पेड़ की पूजा कर उसके जड़ पर कच्चा दूध या जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होगी।