- मार्गशीर्ष माह मांगलिक कार्यों के लिये शुभ माना जाता है
- इसी मास में पवित्र नदियों में स्नान और श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए
- श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान ने खुद बताया इस पवित्र महीने का महत्व
मार्गशीर्ष माह जप, तप और ध्यान के साथ ही पवित्र नदियों में स्नान के लि भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस माह में यदि पवित्र नदियों में स्नान कर दान-पुण्य किया जाए तो मनुष्य के सभी पाप कटते हैं और समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष का महीना 1 दिसंबर से 30 दिसंबर तक रहेगा और पूरे मास में जितने हो सके धार्मिक कार्य करने चाहिए।
मार्गशीर्ष हिंदू पंचांग का नौवां महीना होता है और इस महीने को अग्रहायण और अगहन के नाम से भी जाना जाता है। खास बात ये है कि इस मास के बारे में शास्त्रों में वर्णित है कि ये सबसे पवित्र महीना होता है। भागवत गीता में भी इस मास के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है। इस मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए और माना जाता है कि इसी मास से सतयुग का आरंभ हुआ था और इसी मास में कश्यप ऋषि ने इसी महीने में कश्मीर की रचना की थी।
जानें, मार्गशीर्ष महीने के लाभ (Margashirsha month 2020 in hindi)
इस महीने में मंगलकार्य करने चाहिए, क्योंकि ये इस मास में किए एक हर कार्य फलदायी होते हैं। श्रीकृष्ण की उपासना और पवित्र नदियों में स्नान करने से मनुष्य के समस्त कष्ट दूर होते हैं। इस मास की पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही साथ चन्द्रमा से अमृत तत्व की प्राप्ति भी होती है। इसलिए इस मास में अधिक से अधिक पूजन कार्य करने चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान
इस महीने में तेल की मालिश बहुत उत्तम मानी गई है। इस मास में सरसों के तेल की मालिश हर मनुष्य को करनी चाहिए। साथ ही इस मास में स्निग्ध यानी चिकनाई का प्रयोग करना चाहिए। हालांकि जीरे का सेवन नहीं करें। अजवाइन, सरसों, हींग, काला नमक, लहसुन-प्याज, हरी सब्जियों का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए। मोटे वस्त्रों का उपयोग करें और संध्या उपासना जरूर करें।
मार्गशीर्ष में ऐसे खोलें अपने भाग्य का दरवाजा (Sri Krishna Upasana in Margashirsha month)
मार्गशीर्ष माह में रोज गीता का पाठ जरूर करें। प्रत्येक दिन एक अध्याय का पाठ करें। भगवान कृष्ण की उपासना करें और तुलसी के पत्तों का भोग लगाएं और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। पूरे मास "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जप करना चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था उपदेश
मार्गशीर्ष मास भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय माना गया है। भगवान ने स्वयं इस मास के बारे में अर्जुन को ज्ञान दिय था। उन्होंने कहा था कि, मार्गशीर्ष मास स्वयं मेरा ही स्वरूप है। इस मास में तीर्थाटन और नदी स्नान से पापों का नाश होते हैं और मनुष्य की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मार्गशीर्ष की शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में धनुर्धारी अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।