- हर वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर किया जाता है वट सावित्री व्रत, महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है यह तिथि।
- पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए किया जाता है वट सावित्री व्रत।
- अपने पति के प्राणों कि लिए यमराज से लड़ी थीं सावित्री, इस दिन पूजा के साथ पढ़ें यह कथा।
Vat savitri Purnima vrat Katha and Muhurat in Hindi: वट सावित्री का व्रत हर वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर वट सावित्री व्रत रखा जाता है, इस दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है। इसीलिए ज्येष्ठ अमावस्या तिथि बहुत शुभ मानी जाती है। वट सावित्री व्रत सनातन धर्म में विश्वास रखने वालों के लिए बहुत मायने रखती है। यह व्रत महिलाओं द्वारा अपने पति के लंबी उम्र और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए किया जाता है।
यह व्रत सौभाग्यशाली स्त्रियां करती हैं। इस बार ज्येष्ठ अमावस्या 10 जून को है, यानी इस दिन वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। पूरे विधि-विधान से यह व्रत करना बेहद लाभदायक होता है। वट सावित्री व्रत पर पूजा के साथ कथा का पाठ भी किया जाता है।
वट पूर्णिमा व्रत का मुहूर्त (vat savitri vrat 2021 Muhurat)
वट सावित्री व्रत तिथि: - 10 जून 2021, गुरुवार
अमावस्या तिथि प्रारंभ: - 09 जून 2021, दोपहर (01:59)
अमावस्या तिथि समाप्त: - 10 जून 2021, शाम (04:30)
वट सावित्री व्रत कथा (Vat savitri vrat katha hindi mein, savitri styavan ki katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, बहुत समय पहले राजर्षि अश्वपति नाम के राजा राज करते थे। सावित्री देवी की कृपा से उनके घर एक कन्या ने जन्म लिया था। इस कन्या का नाम सावित्री रखा गया था। सावित्री ने सात्यवान को अपने पति के रूप मे स्वीकार किया था। लेकिन नारद जी ने उसे बताया कि उसका पति अल्पायु है, यह बात सुनकर भी सावित्री ने अपना फैसला नहीं बदला।
अपना पूरा राजवैभव छोड़ कर वह अपने पति के साथ वन में रहने के लिए चली गई क्योंकि सत्यवान के पिता वनवासी राजा थे। एक दिन सावित्री के पति सत्यवान के महाप्रयाण का दिन आया, वह जंगल में लकड़ियां काटने गया और वहां मूर्छित हो गया।
उस समय यमराज जी उसकी जान लेने कि लिए आए लेकिन सावित्री को यह बात पता थी और वह तीन दिन से व्रत कर रही थी। उसने यमराज से प्राथना की कि वह सत्यवान की जान ना लें लेकिन यमराज उसकी बात नहीं माने।
ऐसे बचाई सावित्री ने यमराज से अपने पति की जान
इस बात से परेशान सावित्री यमराज का पीछा करने लगी, यमराज ने उसे बहुत बार मना किया लेकिन वह अपने पति के लिए उनका पीछा करती रही। सावित्री का साहस देख कर यमराज बहुत खुश हुए उसे तीन वरदान मांगने के लिए कहे।
सावित्री ने पहला वरदान सत्यवान के माता-पिता के नेत्रों की ज्योति मांगी, दूसरा वरदान उसने अपना छिना हुआ राज्य वापस मांगा और तीसरे वरदान से उसने 100 पूत्रों का आशिर्वाद मांगा। यमराज ने सावित्री को तथास्तु कहा, उन्हें यह पता चल गया था कि सावित्री अपने पति को जाने नहीं देगी।
अखंड सौभाग्य का वरदान देने के बाद यमराज वहां से चले गए। उस समय सावित्री अपने पति के साथ वट वृक्ष के नीचे बैठी थी। इसीलिए इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं।