- हिंदू धर्म में कई महत्वपूर्ण व्रत हर महीने पड़ते हैं जिनका नाम, लाभ और महत्व अलग-अलग होता है।
- श्रीहरि को समर्पित एकादशी तिथि बेहद शुभ मानी जाती है हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष में कुल 24 एकादशियां पड़ती हैं।
- भगवान शिव की पूजा-आराधना वाला प्रदोष व्रत सनातन धर्म में लाभदायक माना जाता है जो हर महीने दो बार पड़ता है।
हिंदू धर्मावलंबी हर वर्ष अनेक प्रकार के व्रत, पर्व और त्योहार मनाते हैं। व्रत, पर्व और त्योहारों में विभिन्नता के चलते सनातन धर्म पूरे विश्व में प्रख्यात है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इन व्रतों में कुछ व्रत ऐसे हैं जो हर महीने किसी विशेष तिथि पर पड़ते हैं। यह सभी व्रत सनातन धर्म के विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित होते हैं और इन्हें पूरे विधि अनुसार संपन्न किया जाता है। यह व्रत महीने में अलग-अलग तिथियों पर पड़ते हैं और इन सभी व्रतों का महत्व और विधि अलग-अलग होता है।
अगर इन व्रत की बात की जाए तो इसमें एकादशी, प्रदोष और चतुर्थी तिथि प्रमुख हैं जो भगवान विष्णु, शिव और गणेश को समर्पित हैं। इसके साथ संक्रांति, अमावस्या और पूर्णिमा तथा पंचक आदि तिथियां भी व्रत के लिए बेहद अनुकूल और महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। कहा जाता है कि जो भक्त इन व्रतों को संपूर्ण करते हैं उन्हें विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
हर मास आने वाले व्रत त्योहार, Monthly Hindu calendar, Hindu Vrat and Festivals Monthly List
एकादशी
सनातन धर्म में एकादशी तिथि बेहद महत्वपूर्ण मानी गई है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष कुल 24 एकादशियां पड़ती हैं लेकिन अधिकमास के दौरान वर्ष में 26 एकादशीयां पड़ती हैं। हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशिओं के नाम, लाभ और महत्व अलग-अलग होता है।
प्रदोष
एकादशी तिथि की ही तरह वर्ष में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं और अधिक मास के दौरान यह 26 हो जाते हैं। हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले प्रदोष व्रत को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। सनातन धर्म में यह उल्लेखित है कि प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन प्रदोष काल में विशेष रुप से भगवान शिव की पूजा की जाती है।
चतुर्थी
भगवान गणेश को समर्पित चतुर्थी तिथि भक्तों के लिए बेहद लाभदायक मानी गई है। हर महीने चतुर्थी तिथि कृष्ण और शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। विघ्नहर्ता के भक्तों के लिए यह तिथि बेहद महत्वपूर्ण है।
अमावस्या और पूर्णिमा
हर महीने अमावस्या और पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है जिनको अक्सर महीने के नाम से पुकारा जाता है। हर महीने पड़ने वाली अमावस्या और पूर्णिमा तिथि का अपना-अपना महत्व होता है। सनातन धर्म में इन तिथि पर व्रत करना फायदेमंद माना जाता है।
संक्रांति
जब सूर्य ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तब उस समयावधि को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। सनातन धर्म में उल्लेखित है कि हर महीने सूर्य ग्रह एक राशि है दूसरी राशि में प्रवेश करता है। इन संक्रांतियों पर व्रत रखना बेहद लाभदायक माना गया है।
दूज, पंचमी, छठ, सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथियां
हिंदू धर्मावलंबी दूज, पंचमी, छठ, सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथियों पर भी व्रत रखते हैं तथा विधि अनुसार पूजा करते हैं। यह सभी तिथियां सनातन धर्म के विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित होती हैं।
पंचक
हिंदू धर्म शास्त्रों में पंचक काल के महत्व के बारे में बताया गया है। यह उल्लिखित है कि हर महीने पांच दिन के समय को पंचक काल कहा गया है। ज्योतिष शास्त्र में पंचक को अशुभ माना गया है।