- पंजाब के वीर दुल्ला भट्टी ने मुगलों से लिया था लोहा।
- लोहड़ी के जश्न से जुड़ी है उनकी दिलचस्प कहानी।
- भगवान कृष्ण के लोहिता राक्षसी के वध से निकला लोहड़ी का त्यौहार।
Sunder Mundriye Lorhi Song and Dulla Bhatti Story: लोहड़ी पंजाब में मनाए जाने वाले सबसे प्रमुख त्यौहारों में से एक है जो फसल की कटाई शुरू होने के दौरान मनाया जाता है। जिन लोगों को पंजाबी संस्कृति की ज्यादा जानकारी नहीं है उनके मन में लोहड़ी की छवि देर शाम जलाई गई आग और उसके चारों ओर नाच गाना करते लोगों की होती है। इस दौरान 'सुंदर मुंदलिए' करके एक गाना भी गाया जाता है, जिसमें दुल्ला भट्टी का जिक्र आता है।
दरअसल दुल्ला भट्टी पंजाबी में मुगल शासक अकबर के खिलाफ आवाज उठाने वाले क्रांतिकारियों में से एक थे जो मुगलों के जागीरदारों और दूसरे मोटे पैसे वाले लोगों को लूटकर गरीबों में धन बांटते थे। उनसे बादशाह अकबर इतना परेशान हुआ कि उसे दिल्ली से राजधानी को लाहौर लानी पड़ी।
वाघा बॉर्डर से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तान के पंजाब में पिंडी भट्टियां है और यहीं पर साल 1547 में राय अब्दुल्ला खान उर्फ दुल्ला भट्टी का जन्म हुआ था जो एक राजपूत मुसलमान थे। उनके पैदा होने से कुछ महीने पहले उनके पिता और दादा को मुगल बादशाह हुमायूं ने मरवा दिया था और इसके बाद दुल्ला भट्टी भी आजीवन मुगलों से संघर्ष करते रहे। कथाओं के अनुसार एक बार तो उन्होंने सलीम और फिर अकबर को बंदी भी बना लिया था लेकिन फिर अपमानित करके छोड़ दिया। लोहड़ी में गाए जाने वाले गाने में दुल्ला भट्टी का जिक्र मिलता है।
लोहड़ी पर गाया जाने वाला गाना (Lohri Sunder Mundriye Song in Hindi)
सुन्दर मुंदरिए
तेरा कौन विचारा
दुल्ला भट्टीवाला
दुल्ले दी धी व्याही
सेर शक्कर पायी
कुड़ी दा लाल पताका
कुड़ी दा सालू पाटा
सालू कौन समेटे
मामे चूरी कुट्टी
जिमींदारां लुट्टी
जमींदार सुधाए
गिन गिन पोले लाए
इक पोला घट गया
ज़मींदार वोहटी ले के नस गया
इक पोला होर आया
ज़मींदार वोहटी ले के दौड़ आया
सिपाही फेर के ले गया
सिपाही नूं मारी इट्ट
भावें रो ते भावें पिट्ट
साहनूं दे लोहड़ी
तेरी जीवे जोड़ी
साहनूं दे दाणे तेरे जीण न्याणे
लोहड़ी के गाने में दुल्ला के नाम की कहानी: लोहड़ी पर गाए जाने वाले गाने 'सुंदर मुंदलिए' में दुल्ला गुट्टी का जिक्र मिलता है और इसकी भी एक कहानी है। दरअसल मुगल सरदारों के आतंक के समय में एक किसान सुंदरदास उनसे बहुत परेशान था। किसान की दो बेटियां थीं- सुंदरी और मुंदरी। मुगल आक्रांता उनकी शादी खुद से कराने की धमकियां देते थे।
जब किसान ने अपनी परेशानी दुल्ला भट्टी को बताई तो वह सुंदरदास के गांव नंबरदार पहुंचे और परेशान करने वाले लोगों के खेत जला दिए और साथ ही किसान की बेटी की शादी वहीं कराई जहां वो चाहते थे। यहीं से लोहड़ी पर आग जलाने और उसमें गेहूं की नई बाले डालने की परंपरा शुरू हुई। वैसे लोहड़ी का त्यौहार भगवान कृष्ण से जुड़ा है, इस दिन उन्होंने लोहिता नाम की राक्षसी का वध किया था।