- आईएएस बनने के लिए छोड़ दी थी इंटेलीजेंस की नौकरी
- 2500 रुपये में की थी अपनी पहली नौकरी
- 6 बार की असफलता से भी नहीं मानी हार, करते रहे तैयारी
कहते हैं लक्ष्य यदि तय हो तो उसे पाने के लिए राह में आने वाली मुसीबतें या रोड़े बाधा नहीं बन सकते। ऐसा एक नहीं कई बार लोगों ने साबित कर के दिखाया है। ऐसी ही एक सफलता की कहानी तमिलनाडु के के.जयगणेश ने भी लिखी है। अपनी इच्छा और दृढ़ संकल्प के बल पर उन्होंने आईएएस बनने का सपना पूरा किया और इस सपने को पूरा करने के लिए कई झंझावत और पढ़ाव से होते हुए यहां पहुंचे हैं। अपने सपने को पूरा करने के लिए वह वेटर तक बन चुके थे, लेकिन उन्होंने साबित कर दिया कि लक्ष्य के लिए निरंतर प्रयास करना उनका काम आया।
छोटे से गांव से आते हैं जयगणेश, ऐसे बने IAS
तमिलनाडु के उत्तरीय अम्बर के पास एक छोटा सा गांव है। इस गांव के रहने वाले जयगणेश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा यही से पूरी की। इसके बाद घर में आर्थिक दिक्कत और अपने पढ़ाई के लिए पैसा जमा करने के लिए वह पास के होटल में ही वेटर का काम करने लगे। जयगणेश का सपना शुरू से आइएएस बनने का था इसलिए वह काम के साथ अपने इस सपने को पूरा करने के लिए भी दिन रात मेहनत करते रहे।
गरीब परिवार से आते है जयगणेश
जयगणेश के पिता परिवार का पालन- पोषण करने के लिए एक फैक्ट्री में काम करते थे, लेकिन इस कमाई से केवल घर खर्च ही चल पाता था। घर के अन्य काम या पढ़ाई के लिए पैसे नहीं बच पाते थे। जयगणेश घर में चार भाई भहनों में सबसे बड़े हैं। जय गणेश बचपन से ही पढ़ने लिखने में बहुत तेज रहे हैं। उन्होंने 12वीं की परीक्षा 91 प्रतिशत अंकों के साथ पास की थी। इसके बाद वह होटल में काम करते हुए तांथी पेरियार इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी होने के बाद एक कंपनी में वह नौकरी करने लगे लेकिन यहां भी उनकी सैलरी बहुत कम थी। उन्हें 2500 रुपये महीने ही मिला करते थे।
आईएएस बनने का सपना रहा बरकरार
इस नौकरी से जयगणेश को यह समझ आ गया था कि ये घर चलाने के लिए काफी नहीं और उनका आईएएस बनने का सपना भी इससे पूरा होने वाला नहीं है। इसलिए उन्होंने 2500 रुपये की नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी की पढ़ाई शुरू कर दी।
सातवीं बार में हुए सफल
जय गणेश ने यूपीएसएसी की परीक्षा करीब छह बार दी और वह असफल रहे। कभी प्रीलिम्स में अटक जाते थे कभी फाइन में, लेकिन वह हार नहीं मान रहे थे। परीक्षा में असफलता से वह कई बार हताश जरूर होते थे लेकिन मन की हिम्मत उन्हें फिर से खड़ा कर देती थी और इसी का नतीजा रहा कि सातवीं बार वह परीक्षा में अपने सपने को साकार करने में सफल रहे। जयगणेश ने अपना खर्च चलाने के लिए होटल में वेटर का काम शुरू कर दिया था और होटल से लौटकर आने के बाद जितना समय मिला जय गणेश ने पूरी ईमानदारी से पढ़ाई की और इसी का नतीजा उन्हें अपने सपने को पूरा करने में मिला।
इंटेलीजेंस ब्यूरो की नौकरी छोड़ तैयारी जारी रखी
जय गणेश यूपीएससी की परीक्षा में 6 बार असफल जरूर हुए थे लेकिन उनका चयन इसी बीच इंटेलीजेंस ब्यूरो में हो गया। जय गगेश के लिए ये समय थोड़ा दुविधा भरा हो गया था कि हाथ में आई इस नौकरो वह ज्वॉइन करें या फिर 7वीं बार सिविल सेवा की परीक्षा दें। लेकिन फिर तय किया कि वह अपने आईएएस का सपना नहीं छोड़ेंगे और वह इंटेलीजेंस की नौकरी को छोड़ दिए। उन्होंने सातवीं बार सिविल सेवा की परीक्षा दी और इस बार उन्हें सफलता मिली। उन्होंने इस परीक्षा में 156वीं रैंक हासिल की।