कानपुर: कानपुर जिला प्रशासन ने एक सरकारी आश्रय गृह के बारे में कथित तौर पर झूठी सूचना प्रसारित करने को लेकर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। गौरतलब है कि बीते सप्ताह यहां रहने वाली 57 महिलाओं सहित एक कर्मचारी के कोविड-19 से संक्रमित होने की कथित सूचना सामने आई थी जिसमें दावा किया गया था कि आश्रय गृह की इन संक्रमितों पांच गर्भवती किशोरी भी शामिल हैं।
प्राथमिकी के अनुसार, आश्रय गृह के बारे में सोशल मीडिया और समाचार चैनलों सहित कई प्लेटफार्मों पर झूठी खबरें प्रसारित की गईं थी और वहां रहने वाले लोगों की पहचान उजागर हुई।यह प्राथमिकी स्वरूप नगर पुलिस थाने में बुधवार को आईपीसी की संबंधित धाराओं 228-ए, 505 और 188 के तहत दर्ज की गई। इसके साथ ही पुलिस ने महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम भी लागू किया है।
शिकायत में समाचार रिपोर्ट के स्क्रीन शॉट्स और क्लिपिंग भी शामिल हैं।जांच अधिकारी अमर सिंह ने कहा, हम झूठी सूचना फैलाने वाले व्यक्ति को पकड़ने के लिए सबूत जुटा रहे हैं।
क्या था कानपुर शेल्टर होम का ये मामला
उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक सरकारी शेल्टर होम में रह रहीं 7 लड़कियां गर्भवती निकली थीं, जिसमें से 5 कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। 'नवभारत टाइम्स' के अनुसार, इनमें से एक को एचआईवी है तो एक हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त है। राजकीय बाल संरक्षण गृह में 57 लोगों की रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव पाई गई है। ये बालिकाएं पॉक्सो एक्ट के तहत विभिन्न जनपदों से गर्भवती की स्थिति में कानपुर संरक्षण गृह में आईं थीं। ये सभी आगरा, एटा, कन्नौज, फिरोजाबाद व कानपुर के CWC (बाल कल्याण समिति) से संदर्भित करने के पश्चात यहां रह रही थीं।
इस संबंध में मंडलायुक्त डॉ. सुधीर एम बोबडे और जिलाधिकारी डॉ. ब्रह्म देव राम तिवारी ने बताया कि जांच में 7 बालिकाएं गर्भवती पाई गई, जिसमें 5 कोरोना पॉजिटिव हैं, शेष 2 की रिपोर्ट नेगेटिव पाई गई। ये सातों बालिकाएं यहां प्रवेश के समय से ही गर्भवती थीं। पॉजिटिव बालिकाओं में से 2 बलिकाओं का LLR में तथा 3 का रामा मेडिकल कॉलेज में कोविड प्रोटोकाल के अनुसार इलाज हेतु भर्ती कराया गया है।
शनिवार को कानपुर के एक निजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मेडिकल परीक्षण के दौरान बालिकाएं गर्भवती पाई गईं। बालिका गृह को सील कर दिया गया है और स्टॉफ को क्वारंटीन किया गया था।