- शोकाकुल परिवार में नहीं करनी चाहिए हंसी-ठिलोली
- धार्मिक अनुष्ठान में हंसने से आप ज्ञान से रह जाते हैं वंचित
- शव यात्रा में हंसने से पाप के भागीदार बनते हैं आप
Never laughing in Temple Crematoriums and other Place: हंसना मुस्कुराना जीवन के सुखद लम्हों में एक है। हर इंसान चाहता है कि उसके जीवन में खुशहाली बनी रहे और कभी दुख का साया न पड़े। स्वास्थ्य के लिए भी हंसना अच्छा माना गया है और डॉक्टरों के अनुसार इसके कई लाभ भी बताए गए हैं। लेकिन हर कार्य के लिए जगह और समय निर्धारित की गई है। इसलिए उस कार्य को उसी जगह और उसी समय पर करना उचित होता है। शास्त्रों में ऐसे 5 जगहों के बारे में बताया गया है, जहां व्यक्ति को भूलकर भी हंसी-ठिठोली नहीं करनी चाहिए। अगर आप इन जगहों पर हंसते हैं तो पाप के भागीदार बनते ही है और साथ ही दूसरों की नजरों में भी आप सबसे बुरे इंसान बन जाते हैं। इसलिए जान लें कि वह कौन सी जगह है जहां भूलकर भी कभी हंसना नहीं चाहिए।
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इन पांच जगहों पर न करें हंसी-ठिठोली
श्मशान (Crematoriums)
श्मशान ऐसी जगह होती है जहां कोई व्यक्ति कभी भी खुशी-खुशी नहीं जाता। अगर आप श्मशान में हंसते हैं तो यह करोड़ों पापों के बराबर माना जाता है। साथ ही इससे आप अपमानित भी होते हैं। श्मशान वह जगह होती है जहां किसी मृत व्यक्ति का दाह संस्कार किया जाता है। इसलिए इसे मृत व्यक्ति का भी अपमान माना जाता है।
शोक यात्रा
कभी किसी की शोक यात्रा देखकर हंसना नहीं चाहिए। अगर आप शोक यात्रा में शामिल हुए हैं तो अर्थी के पीछे भूलकर भी ना हंसे। ऐसा करना शास्त्रों में मृत व्यक्ति का बहुत बड़ा अपमान माना गया है।
शोकाकुल परिवार
जिस घर में किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई हो वहां भी नहीं हंसना चाहिए। शोकाकुल परिवार में अगर आप हंसते हैं तो उसे मृत व्यक्ति के परिजनों का अपमान माना जाता है। इसके अलावा अगर आप किसी शोकाकुल परिवार में शामिल हुए हैं तो इधर-उधर की अटपटी बातें भी न करें।
मंदिर
मंदिर आध्यात्म से जुड़ी जगह होती है। यहां देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। मंदिर जाने से मन को शांति मिलती है और व्यक्ति ईश्वर से जुड़ाव महसूस करता है। लेकिन अगर आप यहां हंसी-ठिठोली करते हैं तो इसे ईश्वर का अनादर माना जाता है।
धार्मिक अनुष्ठान
ऐसी जगह जहां धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा हो, जैसे कथा, सत्संग, पूजा-पाठ, यज्ञ इत्यादि। इन जगहों पर नहीं हंसना चाहिए और ना जोर-जोर से बातें करनी चाहिए। इससे आप गुरुवाणी या ज्ञान की बातों से वंचित रह जाते हैं और साथ ही दूसरों को भी इससे वंचित करते हैं।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)