- माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी के रूप में मनाया जाता है, इस दिन सूर्य देव का जन्म हुआ था
- सूर्य देव की पूजा विधिवत तरीके से करने से विशेष लाभ मिलता है और सफलता प्राप्त हाती है
- सूर्य देव की पूजा विधिवत तरीके से करने से विशेष लाभ मिलता है और सफलता प्राप्त हाती है
हिंदू पंचांग गणना के अनुसार, हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष के सप्तमी तिथि के दिन अचला सप्तमी मनाई जाती है। इस वर्ष अचला सप्तमी 19 फरवरी का मनाई जाएगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह कहा जाता है कि ऋषि कश्यप और देवी अदिति के वजह से सूर्य देव का जन्म हुआ था। लोग इस दिन पवित्र नदियों में सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं और अर्घ्य देकर भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त करते हैं। भगवान सूर्य की पूजा करने से आरोग्य जीवन का वरदान मिलता है और जीवन सुखमय रहता है। शिक्षा या किसी भी क्षेत्र में अगर मुश्किलें आ रहीं हैं तो सूर्य देव की पूजा जरूर करनी चाहिए।
मनचाहे क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए अचला सप्तमी के दिन यह उपाय अवश्य करें।
इस तरह दें सूर्य देव को अर्घ्य
अचला सप्तमी के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए एक स्वच्छ बर्तन ले लीजिए फिर जल डाल कर उसमें रोली मिला लीजिए। अब इस जल से सूर्य देव को अर्घ्य दीजिए।
तांबे का छल्ला करें अर्पित
सूर्य देव को तांबा बेहद प्रिय है। सफलता प्राप्त करने के लिए इस दिन तांबे का छल्ला सूर्य देव को अवश्य अर्पित करें।
आदित्य हृदय स्त्रोत का करें पाठ
अचला सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा करने के बाद आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ जरूर करना चाहिए। 3 बार यह पाठ करना उचित माना जाता है।
करें तांबे का छल्ला या कड़ा धारण
सूर्य देव की पूजा करने का बाद उनके सामने तांबे का छल्ला या कड़ा पहनना चाहिए। ऐसा करना शुभ माना जाता है और सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है।
ना करें इनका सेवन
मान्यताओं के अनुसार एक बार यह छल्ला पहनने के बाद मांस, मछली और किसी भी तरह के नशा का सेवन नहीं करना चाहिए।