- गुरु से शिक्षा लेने में शर्म करने वाले रह जाते हैं अशिक्षित
- अपना धन मांगने में संकोच करना बनाती है असफल
- साधारण कपड़े पहनने में कभी न करें शर्म व झिझक
Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्य को राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र, का प्रखंड ज्ञाता माना जाता है। इन्होंने अपनी नीतियों से एक साधारण बच्चे चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाया और खुद उनके महामंत्री भी बने, लेकिन इसके बाद भी आचार्य साधारण जीवन व्यतीत करते थे। आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कई कठिन सिद्धतों को आसान भाषा में समझाया है। इन नीतियों को अपनाकर आज भी भटके हुए लोग सुमार्ग पर चलकर अपने जीवन को सुधार रहे हैं। आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कुछ ऐसे कार्य बताएं हैं, जिसे करते हुए व्यक्ति को कभी शर्म नहीं करनी चाहिए।
गुरु से ज्ञान लेते समय शर्म न करें
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति चाहे छोटा हो या बड़ा, उसे अपने गुरु से ज्ञान लेने में कभी शर्म नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति बिना किसी शर्म के अपने गुरु से ज्ञान को ग्रहण करते हैं, वही ज्ञानवान बनते हैं। वहीं, जो लो शर्म या किसी अन्य कारण से अपने गुरु से अपने मन में उठ रहे सवालों का जवाब जानने की कोशिश नहीं करते, उनका ज्ञान अधूरा रह जाता है और उसे भविष्य में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
धन मांगने में संकोच
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को कभी धन के मामले में संकोच नहीं करना चाहिए। जो लोग धन संबंधित कार्यों में संकोच करते हैं उन्हें धनहानि का सामना करना पड़ सकता है। व्यक्ति को कभी भी किसी को दिए गए कर्ज को मांगने में भी संकोच नहीं करना चाहिए। वहीं अगर व्यापार के क्षेत्र में हैं तो सभी से स्पष्ट व्यव्हार रखें अन्यथा आपको धन की हानि हो सकती है।
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साधारण कपड़े में शर्म
चाणक्य नीति कहती है कि पहनावे से व्यक्ति के व्यक्तित्व को फर्क नहीं पड़ता है। कई बार लोग साधारण कपड़े पहनने में इसलिए शर्म महसूस करने लगते हैं कि सामने वाला क्या कहेगा, लेकिन व्यक्ति को कभी भी साधारण कपड़े पहनने में शर्म नहीं करनी चाहिए। आचार्य कहते हैं कि, आपने साधारण कपड़े पहने हैं या फिर महंगे इस बात से फर्क नहीं पड़ता है। हालांकि कपड़े किस तरह से पहनने हैं इसका जरूर ख्याल रखें।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)