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Chanakya Neeti: सफलता के साथ चाहिए अकूत धन-संपदा, जीवन में भूल कर भी न करें ये चार कार्य

Updated Jul 30, 2022 | 09:15 IST

Chanakya Neeti In Hindi: आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि अवगुण हर व्‍यक्ति के अंदर होता है। इनमें से कुछ अवगुणों में सुधार किया जा सकता है, वहीं कुछ ऐसे होते हैं, जिनमें कभी सुधार नहीं किया जा सकता है। ऐसे अवगुणों से युक्‍त को कभी सफलता नहीं मिलती है।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
सफलता के लिए इन चार अवगुण से रहें दूर
मुख्य बातें
  • कमजोर को सताने वाले से लक्षमी जी हमेशा रहती हैं दूर
  • लालची व्‍यक्ति का समाज में खत्‍म हो जाता है पूरा सम्‍मान
  • धोखेबाज लोग जीवन भर रहते हैं अकेले, नहीं मिलता साथी

Chanakya Neeti In Hindi: आचार्य चाणक्य का नीति शास्‍त्र आज के जीवन में भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना यह सदियों पहले था। इसका सबसे बड़ा कारण इसमें बताया गया जीवन की सच्‍चाई है। यह व्‍यक्ति को जीवन को आसान बनाने के उपाय बताने के साथ सफलता प्राप्‍त करने का रास्‍ता दिखाती है। जिसके कारण ही लोग चाणक्य नीति की बातों पर अमल कर जीवन को सफल बनाते हैं। चाणक्य नीति के अनुसार सफलता व धन संपदा का आनंद वही व्यक्ति ले सकता है जो अवगुणों से मुक्त हो। जिस व्‍यक्ति के अंदर झूठ, अहंकार, लोभ और धोखा देने जैसे अवगुण होते हैं वो न तो कभी सफल हो सकता है और न ही उसे धन-संपदा मिल सकता है।

कमजोरों को सताने का अवगुण

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो लोग अपने पद और अधिकार का गलत फायदा उठाते हुए कमजोर लोगों को सताने व अपमान करने का कार्य करते हैं, उन पर लक्ष्‍मी जी की कृपा कभी नहीं होती। ऐसे लोगों से लक्ष्मी जी हमेशा नाराज रहती हैं। ऐसे लोग को समाज में भी सम्‍मान नहीं मिलता है।

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लालच है बर्बादी

आचार्य चाणक्य के अनुसार कुछ लोभी लोग लालच में फंस कर अपना पूरा जीवन बर्बाद कर लेते हैं। छल कपट कर अर्जित किया धन कभी फलता नहीं है। यह सिर्फ बर्बादी का कारण बनता है। वहीं परिश्रम से कमाया गया धन पूरी तरह से सार्थक होता है।

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धोखेबाज रह जाते हैं अकेले

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दूसरे लोगों को धोख देकर आगे बढ़ने की कोशिश करने वाले जीवन में अकेला ही रह जाता है। ऐसे लोगों को न तो कहीं सफलता मिलती है और न ही धन-संपदा। इनका पूरा जीवन ही नर्क के समान होता है। हर कोई ऐसे लोगों से दूर रहना चा‍हता है।


अहंकारी खुद को करता है खत्‍म

चाणक्‍य नीति के अनुसार मनुष्‍य में अहंकार बहुत ही विनाशकारी अवगुण होता है। जिस व्‍यक्ति के अंदर यह अवगुण आ जाता है, वह खुद ही अपना सर्वनाश कर लेता है। अहंकारी लोग अहंकार के वश में आकर अपना धन व सम्‍मान कुछ ही समय में गवां देते हैं। इसलिए व्‍यक्ति को इससे बचना चाहिए। ऐसे लोगों को समाज में दुत्‍तकार मिलने के अलावा कुछ नहीं मिलता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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