- कर्जदारी का जीवन बहुत कष्टदायी माना गया है
- गलत और स्वार्थी लोगों का साथ कष्ट देता है
- मित्र या रिश्तेदार से मिला अपमान कष्टप्रद होता है
कोई भी इंसान ऐसा नहीं है जिसके जीवन में कष्ट न हो। बस कष्ट और दुख अलग-अलग हो सकते हैं। आचार्य चाणक्य ने इंसान के जीवन में कुछ ऐसे कष्टों का वर्णन किया है,जो इंसान को मरते दम तक सालते हैं। चाणक्य ने इन कष्टों को पालने से बचने की हर संभव कोशिश करने की सलाह दी है। ये पांच कष्ट ऐसे होते हैं जो इंसान को उसके दर्द को भूलने नहीं देते। जिंदगी के कई मोड़ पर ये कष्ट सामने आते रहते हैं। ये कष्ट तब ज्यादा दुखदाई होते हैं जब ये किसी के जीवन में प्राथमिकता रखते हों। आइए जानें की चाणक्य ने किन पांच कष्टों को जीवन भर जलाने वाला माना है।
जीवनसाथी या प्रेमी-प्रेमिका का वियोग
आचार्य चाणक्य के अनुसार इंसान के जीवन में जीवनसाथी या प्रेमी अथवा प्रेमिका का वियोग जीवन भर कष्ट देता है। ये ऐसा कष्ट होता है जिसे उस इंसान के अलावा कोई नहीं समझ सकता। जीवन में साथ और प्रेम की जरूरत हर किसी को होती है और जब मनचाहा साथी नहीं मिलता या रहता तो वह वियोग जीवन पर सालता है। इसलिए प्रेम में पड़ने से इंसान को हर संभव बचने की कोशिश करनी चाहिए।
मित्रों या रिश्तेदारों द्वारा अपमान
अपमान तो वैसे कभी भी कोई पचा नहीं पाता, लेकिन परम मित्र या अपने रिश्तेदार से मिला अपमान जीवन भर कष्ट देता है। ये ऐसा अपमान होता है जहां इंसान सबसे ज्यादा शर्मिंदा महसूस करता है और उस कष्ट को चाह कर भी भूल नहीं पाता।
कर्ज लेने और न चुका पाने का कष्ट
किसी भी इंसान के लिए किसी से कर्ज लेना उसके स्वाभिमान पर चोट पहुंचाता है और इस स्वाभिमान तब और ठेस लगती है जब इंसान इस कर्ज को चुका नहीं पाता। चाणक्य के अनुसार कर्जदार व्यक्ति को अपने सम्मान और स्वाभिमान दोनों से समझौता करना पड़ता है। ये समझौता इंसान को सबसे ज्यादा कष्ट देता है और जीवन भर का दर्द बन जाता है।
गरीबी इंसान का सबसे बड़ा कष्ट है
चाणक्य ने माना है कि जो गरीब होता है वह एक अभिशाप की तरह से जीवन जीता है। गरीबी का जीवन इंसान को हर कदम पर नीचा दिखाता है और इंसान के अंदर की सारी खुशियां जीवन भर के कष्ट में बदल जाती हैं।
स्वार्थी या गलत लोगों का साथ
इंसान के जीवन में यदि स्वर्थी या गलत लोगों का साथ हो जाए तो वह जीवन का एक बड़ा कष्ट होता है। हालांकि इस कष्ट का अहसास जल्दी नहीं होता। चाणक्य के अनुसार जब गलती का अहसास होता है तभी से ये कष्ट जीवन का सबसे बड़ा कष्ट बनाता है। कई बार बुरे कर्मों के फल के कारण भी जीवन कष्टमय बन जाता है।
चाणक्य ने इन पांच गलतियों से बचने के लिए हर संभव प्रयास करने की सलाह दी है।