- रोग को टालना बीमारी को और बढ़ाता है
- नींद ज्यादा या कम दोनों ही नुकसानदायक है
- शासन-प्रशासन के नियम टालना संकट में डालता है
Chankya Neeti: हर कोई अपने जीवन में कुछ न कुछ परेशानियों से जूझता है, लेकिन इन परेशानियों को टालते रहना बेहद खतरनाक होता है। परेशानिया आता देख कर हाथ पर हाथ रख कर बैठना और परेशानी में भी टालू रवैया अपनाना इंसान को मौत के मुंह में ले जाता है।
चाणक्य ने जीवन को सुधारने के लिए कई ऐसी युक्तियां और नीतियां भी बताई हैं, जिसे अपनाकर व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली मुसीबतों से बच सकता है और खुशहाल जीवन जी सकता है। चाणक्य ने साफ तौर पर अपने सिद्धांतों में पांच चीजों पर कभी टालू रवैया न अपनाने की सीख दी है। आइए जानें क्या हैं वे पांच चीजें।
चाणक्य ने पांच चीजों पर हमेशा त्वरित कार्य करने की सीख दी है
रोग : चाणक्य ने कहा है कि जो व्यक्ति अपने रोग को शरीर में पालता है वह मृत्यु को न्योता दे रहा होता है। खास कर वृद्ध लोगों को उन्होंने कहा है कि बीमारी होने पर उसका उपचार उसी समय से करना चाहिए, क्योंकि इलाज के अभाव में बीमारी बढ़ती है घटती नहीं।
साथ ही चाणक्य के नीतियां यह भी बताती हैं कि जब बीमारी महामारी में तब्दील हो तो खुद को बीमारी से बचाने के लिए हर संभव प्रयास जरूर करना चाहिए। महामारी से मरना ही है ये सोच कर बैठना नहीं चाहिए,क्योंकि हर महामारी अज्ञानता के कारण ही होती है।
नींद : चाणक्य ने अपनी नीतियों में ये साफ तौर से बताया है कि नींद का बहुत ज्यादा होना या बहुत कम होना दोनों ही रोग का कारण होता है। इसलिए जब भी आपको नींद आए आपको सोना चाहिए और बहुत ज्यादा सोने से भी बचना चाहिए। जो व्यक्ति नींद के इन नियमों को टालते हैं वे शारीरिक और मानसिक बीमारी के शिकार होते हैं।
भूख : चाणक्य ने अपनी नीतियों में बताया है कि इंसान को उस जगह पर कभी नहीं रहना चाहिए जहां अन्न और पानी का अभाव हो। इसलिए भूख को टालना भी मौत को बुलाने जैसा है।
भूख इंसान को हैवान बनाती है और कई बार भूख के कारण ही लोग एक दूसरे का खून करते हैं। इसलिए भूख से लड़ने के बजाए भूख खत्म करने के लिए प्रयास करना चाहिए। भूख को टालना मानिसक और शारीरिक रूप से बीमार बनाता है।
शारीरिक श्रम: इंसान को कभी शारीरिक श्रम से बचने या उसे अगले दिन पर टालने का रवैया नहीं अपनाना चाहिए। ऐसा करने से न केवल वह अपने शरीर के साथ धोखा कर रहा होता है अपितु कई बीमारियों को न्योता भी दे रहा होता है।
आदेश और निर्देश : आचार्य चाणक्य ने हर इंसान को अपने शासन-प्रशासन के नियम और आदेश का पालन करने की सीख दी है। क्योंकि किसी देश या राज्य के शासन और नियम व्यक्ति की भलाई के लिए होते हैं। यदि इन पर टालू रवैया अपनाया जाए तो ये सजा का अधिकारी बना सकता है।