चंद्रगुप्त मौर्य को राजा बनाने से लेकर उनके राजकाज चलाने तक में चाणक्य की नीतियों का ही योगदान रहा था। यही कारण है चाणक्य के आगे बड़े से बड़े कुटनीतिज्ञ तक फेल हो जाते थे। चाणक्य की ये नीतियां आज के जमाने के प्रबंध शास्त्र का अभिन्न हिस्सा हैं। चाणक्य की नीतियों में मित्र बनाने से लेकर शत्रु से रक्षा करने और धन से लेकर स्वास्थ्य तक से जुड़ी सारी बातें शामिल हैं। एक इंसान को अपने घर और बाहर किस तरह सामन्जस्य और व्यवहार रखना चाहिए, ये सारी बातें हमें चाणक्य की नीतियों से सीखना चाहिए।
चाणक्य एक सफल शाही सलाहकार, एक शिक्षक, अर्थशास्त्री, न्यायविद और दार्शनिक थे। यही एकमात्र कारण था कि चंद्रगुप्त मौर्य एक आम इंसान से राजा के सिंहासन तक पहुंच सका। चाणक्य अपनी त्वरित बुद्धि और हर परिस्थिति में समाधान खोजने की क्षमता के लिए जाने जाते थे। उनकी नीतियां विपरीत परिस्थितियों से निकालने वाली और इंसान की पहचान करने वाली हैं। इसलिए उनकी हर एक बात बहुत गंभीरता से समझने की जरूरत है।
चाणक्य की इन नीतियों को जीवन में उतारें
- जिस व्यक्ति के अंदर दया नहीं होती और जो धर्म के अनुसार नहीं चलता उससे दूर रहने में ही भलाई है। ऐसा इंसान न तो खुद का भला करता है और न ही दूसरों को सही राह पर चलने देता है।
- जिस जगह प्रेम और सम्मान न हों, वहां से हट जाना ही बुद्धिमानी होती है। अपमान का घूंट इंसान का आत्मबल और आत्मसम्मान खत्म कर देता है।
- शरीर जब स्वस्थ हो और आपका उस पर नियंत्रण हो, तभी आत्म साक्षात्कार करना चाहिए। मृत्यु के बाद कुछ नहीं किया जा सकता। स्वस्थ मस्तिष्क में अच्छे विचार आते हैं और ये विचार इंसान को आगे बढ़ने में मदद करते हैं।
- विद्या कामधेनु गाय की तरह होती है। इसका कोई मोल नहीं होता है। ये हर मौसम में मनुष्य को अमृत प्रदान करती है। इसी तरह शिक्षा हर जगह और परिस्थितियों में काम आती है।
- यदि अध्यात्मिक ज्ञान होने के बाद भी उसका आचरण नहीं किया जाए तो वह जहर समान हो जाता है।
- क्रोध इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। क्रोध में आते ही व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। क्रोध में कभी कोई न तो निर्णय लेना चाहिए न ही कोई कदम उठाना चाहिए। क्रोध में इंसान अपना ही नाश करता है। इस क्रोध रूपी दुश्मन से सदा बच कर रहें।
- लालच इंसान की मति को भ्रमित कर देता है। इसलिए लालच में आ कर कभी कार्य न करें। क्योंकि ऐसा कार्य कभी फलीभूत नहीं होता और इंसान गर्त में समाता जाता है।
- हर इंसान को अपनी अंतरात्मा की आवाज सुननी चाहिए और उसी के अनुसार काम करने चाहिए, क्योंकि अंतरात्मा कभी गलत राह पर नहीं जाने देती।