- चाणक्य ने बुरे कर्म करने वालों को नरक का द्वार बताया है
- लालची लोग अपने प्रियजनों की जान भी खतरे में डाल देते हैं
- दुराचारी व्यक्ति ईमान,धर्म और मानवता से परे होता है
महान राजनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में कई ऐसी बातें लिखी हैं, जो मनुष्य की बेहतरी और उसकी सफलता के लिए बहुत जरूरी हैं। चाणक्य ने अपनी नीतियों के माध्यम से लोगों को बहुत सी बातें बताई हैं। उनकी नीतियां और दूदर्शिता का ही परिणाम था कि चंद्रगुप्त मौय संपूर्ण भारत का राजा बन सका था। अपनी कूटनीति से उन्होंने नंद साम्राज्य को उखाड़ फेंका था। खास बात ये है कि उनकी नीतियां आज के समय में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। इसलिए उनकी नीतियों का पालन करने से मनुष्य को जीवन में सफलता हांसिल होती है और वह तमाम अन्य परेशानियों से बच जाता है। इसी क्रम में चाणक्य ने मनुष्य को चार लोगों से हमेशा दूर रहने की सलाह दी है। उनका कहना था कि ये चार लोग बर्बादी का कारण होते हैं। तो चलिए जानें किन चार लोगों से हमेशा दूरी बना कर रहना चाहिए।
चाणक्य के इस श्लोक से समझा जा सकता है कि किन चार तरह के लोग बर्बादी का कारण बनते हैं।
दुराचारी च दुर्दृष्टिर्दुरावासी च दुर्जनः।
यन्मैत्री क्रियते पुम्भिर्नरः शीघ्रं विनश्यति।।
दुराचारी व्यक्ति से रहें दूर
आचार्य चाणक्य ने का कहना है कि दुराचारी व्यक्ति के साथ कभी नहीं रहना चाहिए और न ही इसका साथ देना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को ईमान,धर्म या मानवता से कोई लेना देना नहीं होता है। ऐसे व्यक्ति के साथ रहने पर दूसरे की छवि ही नहीं दिमाग भी उसकी तरह से बन जाता है। ऐसा व्यक्ति अपने साथ अपने साथियों को भी नरक भोगने पंर मजबूर कर देता है।
मूर्ख व्यक्ति का साथ
चाणक्य ने कहा है कि मूर्ख दोस्त से बेहतर है बुद्धिमान शत्रु। क्योंकि एक मूर्ख न केवल खुद के लिए बल्कि अपने साथ रहने वालों के लिए भी खतरा होता है। मूर्ख इंसान पशु समान होता है और ऐसा व्यक्ति हर पल संकट का कारण बनता है।
दुष्टस्वभाव वाला मनुष्य
जिस व्यक्ति का स्वभाव दुष्टता से भरा हो उसका साथ कभी न दें। न ही ऐसे व्यक्ति के चक्कर में पड़ें। चाणक्य कहते हैं कि दुष्ट और सांप में से यदि किसी को चुनना हो तो उसे सांप को चुनना चाहिए। क्योंकि सांप तो एक बार डंसेगा लेकिन दुष्ट व्यक्ति का साथ आपको पल-पल मारेगा। ऐसे व्यक्ति का साथ आपके मानसिकता को भी नष्ट करता है।
लालची प्रकार के व्यक्ति
लालची व्यक्ति का कोई इमान नहीं होता है और ऐसा व्यक्ति लालच में अपने साथ रहने वालों की जान खतरे में डाल सकता है। लालची व्यक्ति खुद के लिए ही नहीं अपने साथी के लिए भी खतरा होते हैं।
चाणक्य की नीतियों से सीख लेकर इन चार लोगों से दूर रहे और खुद के साथ अपने परिवार का भी भला करें।