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Chanakya Niti: समाज में कैसे व्‍यक्‍त‍ियों को म‍िलता है ऊंचा दर्जा, चाणक्‍य नीत‍ि में बताए गए हैं ये 3 खास गुण

Updated May 10, 2021 | 07:35 IST

Chanakya niti in hindi : चाणक्य के अनुसार व्यक्ति अपनी आदतों से अच्छा और बुरा बनता है। यदि आप चाणक्य नीति में लिखे इन 3 गुणों को अपनाएं, तो आप समाज में ऊंचा दर्जा पा सकते हैं।

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chanakya niti to get respect
मुख्य बातें
  • चाणक्य एक अच्छे शिक्षक होने के साथ-साथ अच्छे अर्थशास्त्री हुए थे
  • चाणक्य ने नीति शास्त्र में व्यक्ति के जीवन से जुड़ी कई बातों का जिक्र किया है
  • यदि चाणक्य नीति के 3 गुणों को अपनाएं, तो हम समाज में ऊंचा दर्जा प्राप्त कर सकते हैं

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य एक शिक्षक होने के साथ-साथ अच्छे अर्थशास्त्री भी थे। चाणक्य ने नीति शास्त्र में व्यक्ति के जीवन से जुड़ी तमाम बातों का जिक्र किया है। जिसमें उन्होंने व्यक्ति की सफलता उसके स्वभाव और धन प्राप्ति के बारे में बताया हैं। कभी-कभी समाज में कड़ी मेहनत करने के बाद भी हमें प्रतिष्ठा नहीं मिल पाती है। आपको बता दें, कि उन्होंने अपने ग्रंथ चाणक्य नीति में 3 गुणों का जिक्र किया है, जो व्यक्ति को समाज में उसके कद को कई गुना बढ़ाने में मदद करता है। इस गुण को अपनाने से व्यक्ति समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करता हैं। क्या आपको पता है, कि चाणक्य नीति के 3 गुण कौन-कौन से है, जिसे अपनाकर हम समाज में ऊंचा दर्जा पा सकते है। अगर नहीं तो आइएं जाने यहां।

व्यक्ति को समाज में ऊंचा दर्जा दिलाने के चाणक्य नीति के 3 गुण

1. चाणक्य ने अपने शास्त्र में कहा है, कि यदि कोई यदि व्यक्ति अपनी कमाई का 10 फ़ीसदी हिस्सा दान करें, तो उसकी कमाई में दिन दुगनी रात चौगुनी वृद्धि होती है। आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को दानवीर होना चाहिए। दान करने वाले व्यक्ति हमेशा सम्मान की दृष्टि से समाज में देखे जाते है। दान देने वाला व्यक्ति हमेशा दूसरों के हित के लिए सोचता है और उसका यह गुण उसे समाज में महान बना देता है।

2. चाणक्य के अनुसार वाणी हमेशा मधुर होनी चाहिए, जो दूसरे को प्रसन्नता पहुंचाए। किसी से बात करते समय हमेशा कठोर शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। चाणक्य के अनुसार वाणी व्यक्ति की पहचान होती है। जो लोग दूसरों से मीठा बोलते है, उनकी बातों को लोग हमेशा याद करते है। वैसे व्यक्ति की हर जगह चर्चा होती है और समाज में उनका प्रतिष्ठा बढ़ता है।

3. चाणक्य के अनुसार जीवन में सुख-दुख का सिलसिला हमेशा चलता रहता है। लेकिन हमें किसी भी परिस्थिति में धर्म का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए। धर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति किसी के साथ अन्याय नहीं करता। उसके अंदर हमेशा दूसरों के लिए उपकार करने की भावना होती है। चाणक्य के अनुसार व्यक्ति की यही भावना उसे समाज में श्रेष्ठ बनाता है और उसे समाज में मान सम्मान प्राप्त होता है।

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