- आचार्य चाणक्य के अनुसार दाह संस्कार से वापसी के बाद स्नान करके ही घर में करें प्रवेश।
- प्रेम प्रसंग के बाद स्त्री व पुरुष दोनों ही करें स्नान, क्योंकि इससे शरीर हो जाता है अपवित्र।
- मालिश के तुरंत बाद स्नान करने से त्वचा पर आता है निखार।
एक घोर निर्धन परिवार में जन्में आचार्य चाणक्य अपने गुण और उग्र स्वभाव के कारण कौटिल्य कहलाए। चाणक्य ने उस समय के महान शिक्षा केंद्र तक्षशिला से शिक्षा ग्रहंण कर 26 वर्ष की आयु में समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र में शिक्षा पूर्ण कर लिया था। इसके बाद नालंदा विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य भी किया। भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के पितामह कहे जाने वाले आचार्य ने अपनी नीतियों में ना केवल सफलता के मूलमंत्र का उल्लेख किया है बल्कि जीवन के हर पहलू पर बात की है।
चाणक्य ने नीतिशास्त्र में एक श्लोक के माध्यम से व्यक्ति को नहाने से संबंधित नियम सुझाए हैं। इन नियमों के तहत व्यक्ति को इस कार्य के बाद अवश्य नहाना चाहिए अन्यथा वह अपने स्वास्थ्य को संकट में डाल सकता है। आइए जानते हैं।
दाह संस्कार से वापसी के बाद
आचार्य चाणक्य एक श्लोक के माध्यम से उल्लेख करते हुए कहते हैं कि व्यक्ति को किसी के दाह संस्कार से वापसी आने पर नहाने के बाद ही घर में प्रवेश करना चाहिए। क्योंकि श्मशान घाट पर कुछ ऐसे कीटाणु होते हैं जो हमारे शरीर के संपर्क में आ जाते हैं, जिससे आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए दाह संस्कार से वापसी के बाद स्नान करके ही घर में प्रवेश करना चाहिए।
मालिश के बाद
तेल से शरीर की मालिश करने से त्वचा पर निखार आता है इसलिए सप्ताह में दो से तीन बार तेल से शरीर की अच्छी तरह मालिश करें। लेकिन ध्यान रहे मालिश के तुरंत बाद नहाना ना भूलें, क्योंकि मालिश के बाद नहाने से शरीर से गंदगी पूरी तरह साफ हो जाती है। तथा त्वचा चमकदार और सेहतमंद होती है।
बाल कटवाने के बाद
चाणक्य कहते हैं कि बाल कटवाने के बाद बाल के छोटे छोटे टुकड़े शरीर पर चिपक जाते हैं, ऐसे में यदि तुरंत ना नहाया जाए तो यह शरीर पर चुभते हैं। जो सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए बाल कटवाने के तुरंत बाद अवश्य नहाएं।
बाहर जाने से पहले
आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति घर से बाहर (स्कूल, कॉलेज, दफ्तर) जाने से पहले स्नान अवश्य करना चाहिए। स्नान के बाद व्यक्ति का मन साफ रहता है और आलस दूर हो जाता है।
संबंध बनाने के बाद
आचार्य चाणक्य एक श्लोक के माध्यम से उल्लेख करते हुए कहते हैं कि स्त्री व पुरुष दोनों को प्रेम प्रसंग के बाद जरूर नहाना चाहिए। क्योंकि इससे शरीर अपवित्र हो जाता है, पवित्रता भंग हो जाती है। इसके बाद कोई पवित्र कार्य नहीं किया जा सकता। इसलिए शरीर की पवित्रता बरकरार रखने के लिए संभोग के बाद स्नान जरूर करें।