- चाणक्य ने मूर्खों से विवाद न करने की सलाह दी है
- धन कमाने से ज्यादा, उसका संचय करना सीखें
- बदनामी का डर हर इंसान के अंदर रहना चाहिए
आचार्य चाणक्य की बताई गई बातें या नीतियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी उनके समय में थी। चाणक्य के ज्ञान और सिद्धात के चलते हैं चंद्रगुप्त मौर्य मगध साम्राज्य से लेकर संपूर्ण भारत का राजा बन गया था। चाणक्य ने अपने अनुभव और ज्ञान से ही ”चाणक्य नीति” नामक पुस्तक लिखी थी, जो आज हम सब के काम आ रही है। उनकी नीतियों और सिद्धांत के सहारे जीवन को कैसे एक अच्छा मोड़ दिया जा सकता है यह जाना जाता सकता है। आइए आज उन्हीं बातों का जिक्र करें जो एक इंसान को अपने जीवन में जरूर पालन करनी चाहिए।
चाणक्य की इन नीतियों का पालन करना बदल देगा जिंदगी
मूर्खों से कभी विवाद न करें
चाणक्य ने हमेशा मूर्खों से विवाद या बहस न करने की सलाह दी है। मूर्ख से विवाद करना अपना अपमान कराना ही नहीं होता, बल्कि ऐसे लोग आपके क्रोध और भावनाओं को उद्वेलित कर सकते हैं। मूर्ख बिना किसी तर्क के साथ विवाद करते हैं और आपके समय की हानि करते हैं। मूर्ख इंसान सामने वाले को मानसिक रूप से बीमार करने का काम करते हैं। जहां भी आपको लगे की विवाद मूर्खों से हो रहा वहां से बच के निकल लेना ही बुद्धिमता होती है।
अपनी कमजोरी को प्रदर्शित न करें
जो भी इंसान अपनी कमियों को अपने तक रखता है, वह ऊंचाई प्राप्त करता है। चाणक्य ने इंसान को अपनी कमजोरी या कमियों को किसी के सामने रखने से मना किया है। उनके विचार में कमजोरी किसी के सामने रखने से जीवन में मुसीबतें बढ़ती हैं, क्योंकि सामने वाला आपकी इन्हीं कमजोरी को आपके विरुद्ध हथियार की तरह प्रयोग करने लगता है। कमजोरी का फायदा उठाना लोगों के लिए आसान हो जाता है, इसलिए अपनी कमजोरी खुद तक रखें।
धन को सोच समझ कर खर्च करें
धन आड़े दिनों का साथी होता है। ये बात चाणक्य के समय में ही नहीं आज भी सत्य है। धन न हो तो मित्र, परिवार सब साथ छोड़ देते हैं। इसलिए धन को खर्च करते समय बहुत ही बुद्धिमानी का प्रयोग करना चाहिए। धन संचय करना हर किसी के लिए जरूरी है और याद रखें धन को खर्च करने से पहले उसके कुछ हिस्से संचय में ही जाने चाहिए। चाणक्य ने कहा था कि, कुबेर भी अपने आय से ज्यादा खर्च करेंगे तो वह कंगाल हो जाएंगे।
बदनामी से डरे
आचार्य चाणक्य बदनामी से डरने को कहा है। उनका कहना था कि अपमानित हो के जीने से मरना अच्छा है. मृत्यु तो बस एक क्षण का दुःख देती है, लेकिन अपमान हर दिन जीवन में दुःख लाता है। इसलिए बदनामी से बड़ा दुख जीवन में कुछ और नहीं होता। बदनामी इंसान को जीते जी मार देती है। इसका दंश पल-पल दर्द देता है। याद रखें जब आपकी आत्मा भी ये कहने लगे की आप गलत हैं या गलत किए हैं तो इससे बड़ा दर्द जीवन में कुछ नहीं हो सकता। इसलिए जीवन में कोई भी कदम उठाने से पहले बहुत सोच-विचार करना चाहिए।
आलस्य का त्याग करें
जिस इंसान ने अपने जीवन में आलस्य का त्याग नहीं किया वह कभी भी जीवन में सफल नहीं हो सकता है। आलस्य आपकी खूबियों और विकास का दुश्मन होता है। जिस अवसर को आप बेहतर तरीके से भुना सकते हैं, वह आलस के कारण आप गंवा सकते हैं। अपने जीवन से आलस को दूर कर दें आप जरूर ऊंचाई तक जाएंगे।
जो बात न सुने उस पर विश्वास न करें
चाणक्य ने अपनी नीतियों में यह साफ तौर से बताया कि है, जो इंसान आपकी बातों का न सुने या आपकी बातों पर विश्वास न करे, ऐसे लोगों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए। जो आपकी बातों पर ध्यान न दे या आपकी बात दूसरों तक पहुंचाए, ऐसे लोगों से बच कर रहना चाहिए। ऐसे लोग आपको कभी भी धोखा दे सकते हैं।