- गणेशजी को सिद्धि और मंगलकारी शक्तियों का स्वरूप माना गया है
- गणपति जी के तांत्रिक मंत्र का जाप हर संकट से मुक्त करता है
- उनकी पूजा के बिना कोई भी कार्य सफल नहीं होता है
बुधवार को गणेश जी की पूजा का विशेष दिन होता है और नवरात्रि में यदि विधिवत उनकी पूजा की जाए और कुछ तांत्रिक मंत्रों का जाप कर लिया जाए तो मनुष्य के संकट और विघ्न-बाधांए आसानी से दूर हो जाते हैं। भगवान गणेश को सिद्धि और मंगलकारी शक्तियों का स्वरूप माना गया है और यही कारण है कि वह प्रथम पूजनीय हैं। उनकी पूजा के बिना कोई भी कार्य सफल नहीं होता है। हर शुभ कार्य भगवान गणेश जी की आरती के साथ ही शुरू होता है। नवरात्रि में गणेश जी के तांत्रिक मंत्र का जाप हर मनुष्य को करना चाहिए।
कैसे करें नवरात्रि में गणेशजी की पूजा
विघ्नहर्ता गणेशजी की पूजा सर्वकामना पूर्ति के लिए की जाती है। गणपति जी की पूजा में तीन चीजों का बहुत महत्व होता है। दूर्वा, सिंदूर और लाल पुष्प का। इसलिए उनकी पूजा में ये तीन चीजें जरूर शामिल करें। साथ ही उनका प्रिय भोग लड्डू यो मोदक जरूर भोग लगाएं। गणेश जी की पूजा करते समय ध्यान रखें की ये दूर्वा हमेशा उनके हाथ या सिर पर ही रखें। कभी इसे चरणों में नहीं रखना चाहिए। गणेश चालीसा के बाद आरती कर पूजा संपन्न करें।
इन मंत्रों का जाप करें, मिलेगी सर्वबाधा से मुक्ति
धूप-दीप करते समय इन मंत्रों को जपें
वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यो गन्ध उत्तम:। आघ्रेय सर्वदेवानां धूपो यं प्रतिगृह्यताम।।
गणेश जी की उपासना का विशेष मंत्र
ऊं गणानां त्वा गणपति(गुँ) हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपति(गुँ) हवामहे, निधीनां त्वा निधिपति(गुँ) हवामहे व्वसो मम।
बुधवार को सुबह या शाम के वक्त इस मंत्र का ध्यान गणेश जी को सिंदूर, अक्षत, दूर्वा चढ़ाकर व यथाशक्ति लड्डूओं का भोग लगाकर करना चाहिए। साथ ही इसके बाद दीप आरती करें। इस मन्त्र में भगवान गणेश जी और ऋद्धि-सिद्धि का स्मरण है, जिससे जीवन में अपार सुख-समृद्धि आती है।
गणेश गायत्री मंत्र
'ऊँ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुद्धि प्रचोदयात।।
यह गणेश गायत्री मंत्र है। इस मंत्र का प्रतिदिन शांत मन से 108 बार जप करने से गणेशजी की कृपा होती है।
सर्वकार्य सिद्धी मंत्र
'ॐ गं गणपतये नमः' का जप करने से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।
धन व आत्मबल की प्राप्ति के लिए हेरम्ब गणपति का मंत्र
- 'ॐ गं नमः।।
रोजगार की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी विनायक मंत्र का जप
-ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
विवाह दोषों को दूर करने के लिए पढ़ें त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र
ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
इन मंत्रों के साथ ही गणपति अथर्वशीर्ष, संकटनाशन गणेश स्तोत्र, गणेशकवच, संतान गणपति स्तोत्र, ऋणहर्ता गणपति स्तोत्र, मयूरेश स्तोत्र, गणेश चालीसा का पाठ करने से भी प्रभु की कृपा प्राप्त होती है।