- 10 जुलाई से शुरू हो रहा चातुर्मास
- चातुर्मास या चौमासा में नहीं होते मांगलिक कार्य
- चातुर्मास में चार माह के लिए सो जाते हैं भगवान विष्णु
Chaturmas 2022 Date and Importance: हिंदू धर्म में चातुर्मास या चौमासा का विशेष महत्व होता है। चातुर्मास की शुरुआत हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होती है जोकि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तक होती है। चातुर्मास की शुरुआत रविवार 10 जुलाई 2020 से हो रही है। ऐसा कहा जाता है कि चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु पूरे 4 महीना के लिए योग मुद्रा में चले जाते हैं जिस कारण इस अवधि में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश और तिलक जैसे कई कार्यों पर पाबंदी लग जाती है। इन शुभ कार्यों के लिए इस समय पंचांग में कोई शुभ मुहूर्त नहीं होते हैं। इसके अलावा भी चातुर्मास के दौरान कई तरह के कार्यों को वर्जित माना गया है। जानते हैं इन कार्यों के बारे में..
Also Read: Asha Dashami Vrat 2022: महाभारत काल से हुई है आशा दशमी व्रत की शुरुआत, जानिए पूजा विधि व लाभ
चातुर्मास में ये कार्य होते हैं वर्जित
- चातुर्मास में शादी-विवाह, मुंडन, तिलक, गृह प्रवेश और नामकरण जैसे सभी 16 संस्कार नहीं किए जाते। इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य करना शुभ नहीं माना जाता।
- चातुर्मास में पूरे चार महीने के लिए तामसिक या राजसिक भोजन का त्याग करना चाहिए।
- चातुर्मास में बाल-दाढ़ी बनवाने पर भी मनाही होती है।
- कहा जाता है कि चातुर्मास में नीले वस्त्र को नहीं देखना चाहिए। साथ ही इस समय काले वस्त्र को भी धारण नहीं करना चाहिए।
- चातुर्मास में यात्रा से भी बचना चाहिए। अगर बहुत जरूरी न हो तो इस दौरान यात्रा न करें।
- चातुर्मास में पड़ने वाले महीनों में जैसे सावन माह में मांसाहार भोजन, पालक और बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए।
- भाद्रपद में दही का त्याग करना चाहिए।
- आश्विन माह में तामसिक भोजन और दूध का सेवन नहीं करना चाहिए।
- कार्तिक माह में मांस-मदिरा , प्याज-लहसुन और उड़द की दाल का त्याग करना चाहए।
चातुर्मास में भले ही शुभ-मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। लेकिन जप-तप, ध्यान, नदी स्नान, व्रत और तीर्थयात्रा पर कोई रोक नहीं होती है। चातुर्मास में दान का भी विशेष महत्व होता है। इसलिए इस दौरान किसी गरीब या जरूरतमंद को दान जरूर दें। साथ ही इस अवधि में पिंडदान या तर्पण करना भी अच्छा माना गया है। इससे पितरों के आत्मा को शांति मिलती है और पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)