- देवशयनी एकादशी का व्रत करने से मनोकामना पूर्ण होती है
- भगवान विष्णु के शयन पर जाने से पूर्व ले लेना चाहिए आशीर्वाद
- देवउठनी एकादशी तक बंद रहेंगे सभी तरह के शुभ कार्य
देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी, पद्मा एकादशी, पद्मनाभा एकादशी नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से भगवान विष्णु पाताल में राजा बलि के यहां शयन के लिए जाते हैं। चार मास तक वहां शयन करने के बाद वह देवउठनी एकादशी यानी कार्तिक शुक्ल की एकादशी को लौटते हैं। भगवान के शयनकाल में जाने के कारण किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
गहस्थ लोगों के लिए चातुर्मास नियम लग जाता है। भगवान विष्णु के सोने से पहले उनका आशीर्वाद पाने के लिए देवशयनी एकादशी व्रत और पूजा को जरूर करना चाहिए। इन चार महिनों में धार्मिक कार्य अधिक से अधिक करना चाहिए ताकि जीवन में सकंट से बचा जा सके।
Devshayani Ekadashi 2020 Vrat Katha
विष्णु पुराण के अनुसार भगवान हरि ने वामन रूप में दैत्य बलि के यज्ञ में तीन पग दान के रूप में मांगे थे। भगवान ने पहले पग में संपूर्ण पृथ्वी, आकाश और सभी दिशाओं को नाप लिया। इसके बाद अगले पग में सम्पूर्ण स्वर्ग लोक ले लिया। प्रभु जैसे ही तीसरा पग बढ़ाने जा रहे थे कि दैत्य बलि ने उनके पैर पर अपना सिर रख दिया। इसे देख कर भगवान प्रसन्न होकर बलि को पाताल लोक का अधिपति बना दिया और तब उससे वर मांगने को कहा।
बलि ने कहा कि भगवान आपको मेरे महल में हमेशा रहना होगा। बलि के बंधन में बंधता देख देवी लक्ष्मी ने बलि को भाई बना लिया और बलि को वचन से मुक्त करने का अनुरोध किया। इसके बाद से ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश बारी-बारी से पाताल लोक में निवास करते हैं। तीनों देवता चार-चार महा यहां निवास करते हैं। भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से देवउठानी एकादशी तक, शिवजी महाशिवरात्रि तक और ब्रह्मा जी शिवरात्रि से देवशयनी एकादशी तक निवास करते हैं।
Devshayani Ekadashi 2020 Puja Ki Vidhi
देवशयनी एकादशी के दिन स्नान कर भगवान को आसन दें और षोद्शोपचार पूजन करें। भगवान की पूजा में पीले वस्त्र और फूल के साथ पीले फल व मिष्ठान अर्पित करें। भगवान विष्णु की आरती करें और इसके बाद उनकी कथा सुने। इसके बाद भगवान विष्णु के लिए शयन आसन लगा दें। इस आसन पर विष्णु जी को शयन कराएं और चार माह तक उन्हें वहीं सोने दें।
Devshayani Ekadashi 2020 Benefits
देवशयनी एकादशी का व्रत और पूजा करने वाले मनुष्य की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसके अनजाने में हुए पाप नष्ट होते हैं। साथ ही जब तक भगवान विष्णु शयन पर होते हैं उनकी कृपा भक्तों पर बनी रहती है, इससे शयन काल के दौरान कोई अमंगल कार्य नहीं होता।