- निंदा करना इंसान की कमजोरी को बताता है
- मन या घर का भेद कभी किसी को न बताएं
- पड़ोसी या कार्यस्थल पर बैर भावना नहीं रखें
चाणक्य नीति में ऐसी कई बातें हैं जो मनुष्य को बेहतर जीवन जीने का सलीका तो सिखाती ही हैं, ये भी बताती हैं कि किस कार्य को करने से जीवन गर्त में जा सकता है या किस कार्य को करने से इंसान गलत राह पर आ जाता है। चाणक्य ने अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर यह बात कही है कि यदि मनुष्य अपने जीवन में पांच गलतियों को करता है तो उसे जीवन में कभी न कभी बुरे दौर का सामाना जरूर करना पड़ जाता है। इसलिए इन गलतियों से हर संभव बचने का प्रयास करना चाहिए। ये जीवन को वो सामान्य गलतियां है जिसे मनुष्य सबसे ज्यादा करता है।
जानें ये पांच गलतियां, जिन्हें करने से हमेशा बचना चाहिए
1 दिल या घर के भेद बताना : आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जो इंसान अपने घर या दिल के भेद दूसरों के सामने रखता है वह अपने लिए गड्ढा खोद रहा होता है। ऐसा करके व्यक्ति अपना दर्द या दुख कम नहीं बल्कि बढ़ा रहा होता है। हर एक के सामने अपना दुख-दर्द सुनाने से सामने वाला आपकी कमजोरी का फायदा जरूर उठाता है। अपना भेद कभी भी किसी के आगे नहीं कहना चाहिए भले ही वह आपका बहुत सगा या बहुत परम मित्र ही क्यों न हो।
2 बैर भाव रखना : चाणक्य ने कहा है कि अपने पड़ोसी या आसपास रहने वाले या कार्यस्थल के सहयोगियों के साथ कभी भी बैर भावना नहीं रखनी चाहिए। बैर भाव रखना आपके लिए किसी दिन मुसिबत का कारण बन सकता है। पड़ोसी या मित्र आपका सबसे बड़ा और पहला सहयोगी होता है, इसलिए हमेशा उससे अच्छे संबंध बना कर रखें। पड़ोसी या कार्य स्थल पर आपके संबंध अच्छे होंगे तो आपको घर और बाहर हर जगह शांति और सुरक्षा महसूस होगा।
3 निंदा करने की आदत : कहा जाता है निंदा ऐसा रस होता है जो सबको भाता है और इस रस में सब बहुत जल्दी घुल जाते हैं, लेकिन किसी की बड़ाई करते हुए आपने बहुत कम लोगों को देखा होगा। निंदा करना एक बहुत बड़ी कमी होती है। इसलिए इस कमी से बचें, क्योंकि संभव है कि आप जिसकी निंदा जिसके सामने कर रहे हैं वह आपकी बात दूसरों तक पहुंचा दे। यह भी संभव है कि आपकी निंदा करने की ये आदत आपके लिए मुसीबत बन जाए।
4 धर्म की बुराई : अपने धर्म और धार्मिक रीति-रिवाजों का भूल कर भी बुराई नहीं करना चाहिए। यदि आप किसी धार्मिक बात से सहमत नहीं तो आप उसे मन में रखें या आप अपने सिद्धांत पर चलें, लेकिन धर्म की बुराई न करें। धर्म इंसान को मर्यादित बनाता है और धर्म इंसान की सही राह पर चलने की प्रेरणा देता है। इसलिए धर्म का नीचा दिखाने का प्रयास आप पर उंगली उठाता है।
5 लालच करना : चाणक्य का कहना है कि लालची इंसान का भरोसा कभी नहीं किया जा सकता। ऐसा इंसान मौकापरस्त माना जाता है। इसलिए लालच को अपने अंदर हावी न होने दें। लालच इंसान को बुरे कर्मों की ओर ढकेलता है। इसलिए कोशिश करें कि लालची बनने से बचें।