- 31 अगस्त को मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी
- गणेश चतुर्थी पर घर ना लेकर आएं गणपति की ऐसी मूर्ति
- घर की इस दिशा में नहीं रखने चाहिए गणपति
Ganesh Chaturthi 2022 Murti Sthapna: भगवान गणेश को समर्पित गणेश चतुर्थी का महापर्व आने वाला है। 31 अगस्त को देशभर में गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। इस दिन घर में गणपति की मूर्ति स्थापित की जाती है और विधिवत रूप से उनकी पूजा की जाती है। फिर अगले दस दिन तक गणेश महोत्सव मनाया जाता है। दस दिनों तक भगवान गणेश अपने भक्तों के साथ रहते हैं। गणेश महोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के साथ होता है, जहां भक्त 'गणपति बप्पा मोरिया' के जयकारे लगाते हुए बप्पा की मूर्ति का विसर्जन करते हैं।
ज्योतिषियों का कहना है कि गणेश चतुर्थी के दिन जब भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है तो उसमें कुछ विशेष बातों का ख्याल रखना बहुत जरूरी होता है। इसमें मूर्ति के चुनाव से लेकर उसे घर की सही दिशा में स्थापित करने जैसी बातें शामिल हैं। कहते हैं कि घर में गणेश की गलत मूर्ति लाने से भक्तों को उनकी पूजा का फल नहीं मिल पाता है।
घर में गणेश जी की कैसी मूर्ति लाएं?
हिंदू धर्म के जानकार कहते हैं कि घर में गणेश की मूर्ति लाने से पहले उसकी सूंड देख लें। गणेश की जिस मूर्ति की सूंड दाईं तरफ मुड़ी होती है वो सिद्धीपीठ से जुड़ी होती है। इसे दक्षिण मूर्ति या दक्षिणाभिमुखी मूर्ति भी कहा जाता है। दक्षिण दिशा यमलोक की दिशा मानी जाती है। इसलिए गणेश की ऐसी मूर्ति घर में नहीं रखनी चाहिए। घर में गणेश जी की बाईं ओर सूंड वाली मूर्ति ही लेकर आएं। इस प्रकार की मूर्ति की पूजा करना शुभ होता है।
किस दिशा में रखें गणेश की मूर्ति?
यदि इस गणेश चतुर्थी पर आप भी घर में गणपति को स्थापित करने जा रहे हैं तो कुछ खास बातें याद रखें। गणेश की मूर्ति की स्थापना अगर दिशा और कोण के आधार पर करेंगे तो निश्चित ही आपकी पूजा फलदायी होगी। गणपति की सही दिशा में स्थापना आर्थिक समृद्धि के द्वार खोलती है।
ज्योतिषविद कहते हैं कि घर में भगवान गणेश की मूर्ति को ईशान कोण में स्थापित करना उत्तम होता है। घर में पूर्व-उत्तर दिशा के कोने को ईशान कोण कहते हैं। आप निसंकोच इस दिशा में गणेश मूर्ति स्थापित कर सकते हैं। जबकि घर की दक्षिण दिशा में गणेश की मूर्ति की स्थापना नहीं करनी चाहिए।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)