- गणपति जी का कलयुग में वाहन घोड़ा है
- गणेश भगवान के पोते अमोद और प्रमोद हैं
- गणपति जी की दो नहीं बल्कि पांच पत्नियां हैं
विघ्नहर्ता गणपति जी की पूजा सर्वप्रथम करने के दो कारण होते हैं। पहला वह किसी भी कार्य पर आने वाले विघ्न को हर लेते हैं और दूसरा कार्य को सफल बनाते हैं। गणपति जी के बारे में ज्यादातर लोग इतना ही जानते हैं। उनके परिवार, उनके वाहन से जुड़ी सामान्य बातें भी बहुत लोग जानते हैं, लेकिन शायद ही उन्हें पता हो कि उनका परिवार बहुत ही बड़ा है और हर युग में उन्होंने अपने वाहन बदले हैं। इतना ही नहीं गणपति जी के पोते-परपोते कौन हैं। तो आइए आपको गणपति जी परिवार के साथ उनसे जुड़ी बहुत सी ऐसी बातों से परिचित कराएं जिनसे आप शायद ही परिचित होंगे।
जानें, गणपति से जुड़े ये रोचक तथ्य
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गणेशजी की माता देवी पार्वती और पिता शिव जी हैं और उनके बड़े भाई कार्तिकेय हैं, लेकिन उनके चार और भाई हैं। जिनका नाम सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा है।
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गणपति जी की तीन बहनेंं भी हैं और इनका नाम अशोक सुंदरी, ज्योकति या मां ज्वापलामुखी और देवी वासुकी या मनसा है।
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गणेशजी की दो नहीं बल्कि पांच पत्नियां है। ऋद्धि, सिद्धि, तुष्टि, पुष्टि और श्री।
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गणपति जी के दो पुत्र हैं लाभ और शुभ। साथ ही उनके दो पोते भी हैं, आमोद और प्रमोद।
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गणपति जी जल के अधिपति माने गए हैं।
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गणपति जी का प्रिय फूल लाल है। खास कर गुड़हल।
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पूजा में स्वास्तिक बनाने का नियम है। इसके बारे में मान्यता है कि स्वास्तिक में गणपति अपने पूरे परिवार सहित विराजते हैं। इसलिए स्वास्तिक बनाते समय त्रुटि नहीं होनी चाहिए।
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यदि आपको यह पता है कि गणपति जी को केवल दूर्वा प्रिय है तो यह सही नहीं। गणपति जी को शमी-पत्र से विशेष प्रेम है। साथ ही बेलपत्र, केले का पत्ता आदि भी उनके प्रिय वनस्पतियों में शामिल है।
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भगवान गणपति का प्रमुख अस्त्र पाश और अंकुश माना गया है।
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गणपति जी का वाहन हर कोई चूहा ही जानता है, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हर युग में उनका वाहन बदल गया है। कलयुग में उनका वाहन चूहा नहीं घोड़ा माना गया है। गणपति जी का वाहन सतयुग में सिंह, त्रेतायुग में मयूर, द्वापर युग में मूषक था।
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गणपति जी का बीज मंत्र ॐ गं गणपतये नम: है।
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गणेशजी को मोदक के साथ ही बेसन के लड्डू, गुड़, नारियल भी प्रिय हैं।
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गणेशजी की प्रार्थना जब करें, उनमें गणेश स्तुति, गणेश चालीसा, गणेशजी की आरती, श्रीगणेश सहस्रनामावली आदि को जरूर शामिल करें।
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गणेशजी के 12 प्रमुख नाम, सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन है।
गणपति जी की पूजा का विशेष दिन बुधवार है और इस दिन गणपति जी की विशेष पूजा करनी चाहिए और उनके प्रिय भोग और वनस्पति चढ़ाने चाहिए।