- हनुमान जी की पूंछ में पार्वती माता का माना गया है निवास
- हनुमान जी की पूछ का सिंदूर का लेपन करना चाहिए
- ग्रहों के कष्ट दूर करने के लिए करनी चाहिए बजरंगबली के पूंछ की पूजा
भगवान हनुमान को देवी-देवताओं ने कई तरह की शक्तियों का वरदान दिया है। अष्टसिद्धि और नवनिधि के दाता की पूंछ में भी कम ताकत नहीं होती। एक दंतकथा के अनुसार बजरंगबली की पूंछ में पार्वती जी का वास माना गया है, क्योंकि हनुमान जी शंकर जी के अवतार हैं, इसलिए पूंछ में पार्वती जी विराजमान हैं। हनुमान जी की पूंछ की पूजा करने से देवी पार्वती का भी आशीवार्द प्राप्त होता है। यदि मनुष्य शनि की साढ़े-साती या किसी अन्य ग्रह के कष्ट झेल रहा तो उसे हनुमानजी की पूंछ की पूजा जरूर करनी चाहिए।
वीर हनुमान के पूंछ की पूजा से शनि की साढ़े साती या महादशा के साथ राहु और केतु से मिलने वाले घनघोर संकटों से भी मुक्ति मिलती है। इसके लिए हनुमान जी की पूछ की पूजा 48 दिन तक रोज करनी होती है। यह पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण और चमत्कारिक असर दिखाती है। तो आइए जानें की हनुमान जी की पूंछ की पूजो कैसे की जाती है।
ऐसे बनाएं पूजा का सिंदूर
हनुमान जी की पूंछ की पूजा सिंदूर से की जाती है। इसके लिए चमेली के तेल में चंदन और सिंदूर मिला कर एक लेप तैयार कर लें। यदि चंदन न हो तो आप केवल तेल और सिंदूर का लेप बना लें। इसी लेप को हनुमान जी की पूंछ पर मलना होता है।
ऐसे करें 48 दिन तक बजरंगबली के पूंछ की पूजा
- यह पूजा मंगलवार या शनिवार के दिन से ही प्रारंभ करें।
- सुबह स्नान के बाद हनुमानजी की ऐसी तस्वीर या प्रतिमा की पूजा करें जिसमें उनकी लंबी पूंछ हो। अब उनकी पूंछ को पहले धूप-दीप-अगरबत्ती आदि दिखा दें।
- अब सिंदूर का लेप को दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली में लगा लें और पूंछ पर इसे लगाएं। इसे लगातार 48 दिन तक करें।
- अब सफेद मक्खन ले और हनुमान जी के सीने पर इसे मलें। संभव हो तो ऐसी तस्वीर का चयन करें जिसमें उनके सीने में भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी भी विराजमान हों।
- याद रखें ये पूजा केवल मंगलवार या शनिवार की अमावस्या तिथि या मूल नक्षत्र दिवस से ही शुरू करें और लगातार करें।
- महिलाओं क्योंकि हनुमानजी का स्पर्श नहीं कर सकतीं, इसलिए किसी पुरुष की मदद से ये पूजा करें।
- जब पूंछ पर लेप हो जाए तो कपूर की आरती करें और चमेली के तेल का ही दीप जलाएं।
- अब अपने हाथ जोड़ कर हनुमान जी के समक्ष अपनी समस्या रखें और उससे मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।
- पूजा के बाद वहीं बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे आपको दोगुना फायदा होगा।
कुमकुम नहीं सिंदूर से करें पूजा
बजरंगबली को हमेशा सिंदूर चढ़ाएं। कई बार लोग कुमकुम का प्रयोग करते हैं, लेकिन यह सही नहीं होताद। हनुमान जी की पूजा में केसरिया(नारंगी) सिंदूर ही चढ़ाया जाना चाहिए। इसे भाखड़ा सिन्दूर भी कहा जाता है। यह सिंदूर कभी सूखा न चढ़ाएं बल्कि चमेली के तेल या घी के साथ मिला कर ही चढ़ाएं।
शनि साढ़े साती और शनि की महादशा से राहत पाने के लिए हनुमान जी की इस दुर्लभ फोटो खरीदें और मंगलवार या शनिवार को सिंदूर पूजा करें।