- हरियाली तीज व्रत करने से मिलता है अखंड सौभाग्य
- देवी पार्वती ने शिवजी को पाने के लिए किया था ये व्रत
- व्रत को करने वाली हर सुहागिन को मिलता है सौभाग्य का वरदान
सावन मास में हरियाली तीज होती है। शुक्ल पक्ष की तृतीया को पड़ने वाली ये तीज सुहागिनों का महत्वपूर्ण त्योहार होता है। यह व्रत और पूजा देवी पार्वती और शंकर जी को समर्पित होता है। सुहगिन महिलाएं हरियाली तीज पर निर्जला व्रत कर अपने अखंड सौभाग्य और सुहाग की कामना करती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं सऔर सोलह श्रृंगार कर पूजा करती हैं। सुहाग की थाली देवी पार्वती को भी चढ़ाई जाती है।
साथ ही इस दिन सुहाग की थाली सास या जेठानी को भेंट करने रिवाज होता है। यदि आप इस व्रत को करने का संपूर्ण विधि से अपरिचित हैं तो आइए आपको पूजा के महत्व,कथा और विधि के बारे में भी बताएं।
Hariyali Teej Pooja Vidhi, हरियाली तीज की ऐसे करें पूजा
हरियाली तीज के दिन समूह में सुहागिनें देवी पार्वती की पूजा करती हैं। लेकिन कोरोना संकट के कारण यह संभव नहीं है। ऐसे में आप अपने घर में ही अपने घर की महिलाओं के साथ अथवा अकेले भी इस पूजा को कर सकती हैं।
- इसके लिए देवी की प्रतिमा या तस्वीर को आसन दे कर स्थापित करें।
- इसके बाद देवी पार्वती के समक्ष हाथ जोड़ कर प्रणाम करें और उसके बाद उन्हें पुष्प, माला, धपू-दीप नैवेद्य आदि अर्पित कर सुहाग का सामान चढ़ाएं।
- इसके बाद अपने पति का ध्यान करते हुए हरियाली तीज व्रत का आशीर्वाद मांगे।
- इसके बाद वहीं बैठकर हरियाली तीज कथा पढ़ें और उसके बाद अपनी सास या सास समान सुहागिन महिला के पैर छूकर उन्हें सुहाग की थाली भेंट करें और उनका आशीर्वाद लें।
Hariyali Teej Pooja Mantra, इस मंत्र का जप है अत्यंत लाभकारी
हरियाली तीज के दिन पार्वती सौभाग्य मंत्र का जाप जरूर करें। ये मंत्र आपके अखंड सौभाग्य की कामना को जरूर पूरा करेगा।
हे गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया। तथा मां कुरु कल्याणी कांत कांता सुदुर्लभाम्।।
Hariyali Teej ka Mahatva, Hariyali Teej Kyon manate hain, शिवजी को पाने के लिए लिया था 108 बार जन्म
शिवजी की पाने के लिए देवी पार्वती ने सैकड़ों वर्षों की साधना और तपस्या की थी और इसी दिन वह भगवान शिव से मिली थीं। देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया था, लेकिन फिर भी वह शिवजी को पति के रूप में नहीं पा सकी। इसलिए उन्होंने अपने 108वें जन्म में शिवजी को पाने के लिए श्रावण मास में कठोर तप और व्रत किया और श्रावण मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को भगवान शिव और देवी पार्वती का मिलन हुआ था। यही कारण है कि इस दिन सुहागिने अपने सुहाग के लिए भी व्रत-पूजा करती हैं।
Hariyali Teej Vrat Katha, हरियाली तीज की व्रत कथा
भगवान शिव ने देवी पार्वती को बताया कि कैसे उन्होंने तप कर उन्हें पति के रूप में पाया था। शिव जी देवी पार्वती को बताते हैं कि वह उन्हें पति रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया था लेकिन फिर भी वजह सफल नहीं हुईं। 108 वीं बार जब उन्होंने पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया तो वह शिवजी को पाने के लिए हिमालय में घोर तप किया। अन्न-जल त्याग कर उन्होनें सूखे पत्ते ग्रहण कर लंबा जीवन व्यतीत किया। वन में एक गुफा के भीतर देवी तपस्या में लीन रहती थीं और तमाम संकट को झेलते हुए वह तपस्या करती रहीं। सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को जब देवी ने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण कर आराधना की तो शिवजी का मन पिघल गया और वह उनकी मनोकामना पूर्ण कर दी। शिवजी ने बताया कि इसी बीच आपके पिता वहां पहुंचे और घर ले जाने की जिद्द की लेकिन आपने कहा कि वह मेरे साथ विवाह को राजी होंगे तभी वह घर जाएंगी। आपके पिता ने आपकी इच्छा मानी और हमारा विवाह विधिवत संपन्न हुआ।
Hariyali Teej Vrat Pooja ke fayde, जानें व्रत पूजा का पुण्य लाभ
भगवान शिव ने देवी की पूजा से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होनें देवी पार्वती से कहा कि हरियालती तीज जो भी सुहागिन महिला रहेगी उसे वह मनवांछित फल देंगे। पूरी श्रद्धा और निष्ठा से व्रत करने वाली हर महिलाओं को शिवजी अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं।