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Ganesh Chaturthi 2022: जानिए क्यों संकष्टी चतुर्थी पर है चंद्र दर्शन का महत्व और विनायक चतुर्थी पर है वर्जित

Updated Jun 19, 2022 | 22:23 IST

Ganesh Sankashti and Vinayaka Chaturthi 2022: हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की पूजा करने और व्रत रखने का महत्व है। लेकिन दोनों पक्षों की चतुर्थी के नाम और नियम अलग होते हैं। जानते हैं इसके महत्व और कारणों के बारे में।

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गणेश चतुर्थी
मुख्य बातें
  • भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहीं करना चाहिए चंद्र दर्शन
  • गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति पर लगते हैं झूठे आरोप
  • चंद्र दर्शन के बिना पूरी नहीं मानी जाती संकष्टी चतुर्थी व्रत

Ganesh Sankashti and Vinayaka Chaturthi Chandra Darshan Importance: भगवान श्रीगणेश की पूजा के लिए चतुर्थी का दिन सबसे उत्तम माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत के लिए समर्पित होता है। कृष्ण पक्ष चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। दोनों ही चतुर्थी तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। लेकिन इन दोनों चतुर्थी के नियम में काफी अंतर होता है। संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा दर्शन और पूजन करना जरूरी माना जाता है। तो वहीं विनायक चतुर्थी पर चंद्र दर्शन पूरी तरह से निषेध माना जाता है। आखिर ऐसा क्यों जानते हैं इस बारे में विस्तार से..

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चंद्र दर्शन के बिना पूरा नहीं होता संकष्टी चतुर्थी व्रत

हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इसमें भगवान गणेश की विशेष पूजा-पाठ की जाती है और रात को चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर उसकी पूजा की जाती है। इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है। चंद्रमा दर्शन और पूजन के बाद ही सकंष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण माना जाता है। यही कारण है कि इस व्रत को करने वाली व्रती चंद्रमा के उदित होने की प्रतीक्षा करती है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत महिलाएं संतान की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती है। साथ ही इस व्रत को करने से भगवान गणेश की कृपा से घर पर सुख-समृद्धि बनी रहती है।

विनायक चतुर्थी पर क्यों होता है चंद्र दर्शन निषेध

संकष्टी चतुर्थी पर एक तरफ जहां चंद्र दर्शन और पूजन का काफी महत्व होता है। वहीं विनायक चतुर्थी पर चंद्र दर्शन पर पूरी तरह से मनाही होती है। कुछ लोग हर माह शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी को चंद्र दर्शन नहीं करते। लेकिन मान्यता है कि खासकर भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए। इस दिन चंद्र दर्शन करने से इंसान पर झूठे आरोप या कलंक लगते हैं। इस पीछे एक पौराणिक मान्यता है जोकि इस प्रकार से है। कहा जाता है कि, भगवान श्रीकृष्ण ने भी इसी चतुर्थी के दिन चंद्रदर्शन किया था, जिसके कारण उनपर मणिचोरी का झूठा आरोप लगा था। इसलिए भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को 'कलंक चतुर्थी'  भी कहा जाता है और चंद्र दर्शन निषेध माना जाता है। 

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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