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Ganesha Stotra Path: कर्ज व आर्थिक संकट से पाना है मुक्ति? इस दिन करें गणेश स्तोत्र का पाठ

Updated Jun 17, 2022 | 22:44 IST

Ganesh Stotra Benefits:  बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा अर्चना करने पर हर संकट दूर होते हैं। हर बुधवार को गणेश स्तोत्र का पाठ करने से कई लाभ मिलता है।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
lord ganesh puja vidhi
मुख्य बातें
  • कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है
  • गणेश जी की पूजा सबसे लाभकारी होती है
  • गणेश जी की पूजा विधि विधान से करने पर हर मनोकामना की पूर्ति होती है

Ganesh Stotra path To Get Rid of every trouble: हिंदू धर्म में हर देवी देवताओं का विशेष महत्व होता है। हर दिन किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित होते हैं। ऐसे ही बुधवार का दिन भगवान गणेश जी को समर्पित है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। गणेश जी की पूजा सबसे लाभकारी होती है। गणेश जी की पूजा विधि विधान से करने पर हर मनोकामना की पूर्ति होती है। भगवान गणेश हर तरफ से अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। राहु शनि के संकट से बचने के लिए भी गणेश जी की वंदना करने से इन सभी समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा आर्थिक संकटों, कर्ज से उबरने के लिए भी गणेश स्त्रोत का पाठ करना काफी फलदायक होता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक गणेश गणेश स्तोत्र करना काफी फलदाई होता है। गणेश्वर का पाठ करने से व्यक्ति हर तरीके के ऋण से मुक्ति पा जाता है। आइए जानते हैं गणेश स्तोत्र का पाठ कैसे करें और गणेश स्तोत्र के मंत्रों के बारे में..

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ऐसे करें तैयारी

गणेश स्तोत्र पाठ करने के लिए बुधवार का दिन सबसे शुभ होता है। इस दिन सुबह नहाने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें, उसके बाद गणेश जी को जल से अभिषेक करें। फिर उनको लाल पुष्प, चंदन, कुमकुम, फल, फूल माला, वस्त्र, दूर्वा, मोदक आदि चढ़ाएं। गणेश पूजन के बाद ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करें।

गणेश स्तोत्र पाठ

सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।1।।

त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित:।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।2।।

हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित:।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।3।।

महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित:।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।4।।

तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित:।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।5।।

भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।6।।

शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक:।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।7।।

पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित:।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।8।।

इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,

एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित:।

दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत्।।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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