- भोले शंकर को देवों के देव महादेव के नाम से जाना जाता है
- महादेव के भक्तों के लिए सावन सबसे खास महीना होता है
- शिव भक्त भगवान शिव को मनाने और प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर भांग, धतूरा, दूध व चंदन और भस्म चढ़ाते हैं
Lord Shiv Puja Niyam: अगले महीने जुलाई से सावन शुरू होने वाला है और ऐसे में शिव भक्त भगवान शिव की आराधना में लग जाते हैं। भोले शंकर को देवों के देव महादेव के नाम से जाना जाता है। महादेव के भक्तों के लिए सावन सबसे खास महीना होता है। शिव भक्त भगवान शिव को मनाने और प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर भांग, धतूरा, दूध व चंदन और भस्म चढ़ाते हैं। भगवान शिव की मन से पूजा, वंदना करने पर भगवान शिव भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करना काफी आसान है। मात्र एक लोटा जल भी काफी है। भगवान शिव की पूजा में शिवलिंग का विशेष महत्व बताया गया है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग पर कुछ चीजें अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। वहीं कुछ चीजें भगवान शिव को भूलकर भी अर्पित नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से महादेव नाराज हो जाते हैं। जिसका परिणाम भक्तों को भुगतना पड़ता है। अगर आप भी भगवान शिव की पूजा के लिए शिवलिंग पर इन चीजों को चढ़ा रहे हैं तो सावधान हो जाइए...
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सिंदूर व कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए
कुमकुम व सिंदूर भगवान शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए। हिंदू धर्म में सिंदूर का विशेष महत्व होता है। महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए सिर पर सिंदूर लगाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को सिंदूर चढ़ाना अशुभ माना जाता है। भगवान शिव वैरागी हैं। इसलिए शिवजी को कुमकुम या सिंदूर नहीं चढ़ाना चाहिए।
नहीं चढ़ाई जाती हल्दी
भगवान शिव को हल्दी भी नहीं अर्पित किया जाता है। हिंदू धर्म में हर पूजा में हल्दी का विशेष महत्व होता है, लेकिन शिवलिंग की पूजा करते वक्त हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए। दरअसल हल्दी सौंदर्य वस्तु के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और शिवलिंग पुरुष सत्य का प्रतीक है। इस वजह से शिवलिंग में हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए। हिंदू धर्म में मान्यता है कि अगर शिवलिंग की पूजा करते वक्त हल्दी चढ़ा दी जाए वह पूजा बेकार मानी जाती है।
शंख नहीं चढ़ाना चाहिए
भगवान शिव को शंख भी नहीं चढ़ता है, हालांकि पूजा के वक्त प्रयोग किया जा सकता है। देवी देवताओं को शंख से जल चढ़ाया जाता है, लेकिन भोलेनाथ की पूजा के वक्त शंख का प्रयोग नहीं किया जाता है। हिंदू पुराण के अनुसार भगवान शिव ने शंख चूर नाम के असुर का वध किया था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान विष्णु का भक्त था, इसलिए भगवान विष्णु की पूजा के वक्त शंख चढ़ता है और भगवान भोलेनाथ की पूजा के वक्त शंक नहीं चढ़ाया जाना चाहिए।
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शिवलिंग में नहीं चढ़ती तुलसी
इसके अलावा भगवान शिव की पूजा करते वक्त शिवलिंग में कभी भी तुलसी ना चढ़ाएं। पौराणिक कथाओं के अनुसार जलंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा के अंश से तुलसी का जन्म हुआ था जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया है। इसलिए तुलसी से शिव जी की पूजा नहीं होती।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)