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Lord Jagannath Snan Purnima: आस्था के सरोवर में डुबकी लगाएंगे भगवान जगन्नाथ, देखें LIVE,भव्य PHOTOS

Updated Jun 24, 2021 | 10:16 IST

Lord Jagannath Puri Dev Snan Purnima: ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ को आज स्नान कराया जाएगा। दुनियाभर में श्रद्धालुओं के लिए इस त्योहार के आयोजन की लाइव-स्ट्रीमिंग भी की जा रही है।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
भगवान जगन्नाथ देव स्नान पूर्णिमा (तस्वीर के लिए साभार - Shree Jagannatha Temple Office, Puri)
मुख्य बातें
  • ओडिशा के पुरी में आज देव स्नान पूर्णिमा पर्व
  • इस बार कोरोना की वजह से श्रद्धालुओं को शामिल होने की अनुमति नहीं
  • स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ 15 दिनों तक विश्राम करेंगे

नई दिल्ली: ओडिशा के पुरी में आज देव स्नान पूर्णिमा मनाया जा रहा है जिसके तहत भगवान जगन्नाथ को आज स्नान कराया जाएगा। आज ज्येष्ठ पूर्णिमा है और इस दिन भगवान जगन्नाथ को स्नान कराया जाता है। हिंदू धर्म में इसे देव स्नान पूर्णिमा  के नाम से भी जाना जाता है। आज सुबह भगवान को उनके मंडप में पुजारियों ने उन्हें स्नान कराया।

दुनियाभर में श्रद्धालुओं के लिए इस त्योहार के आयोजन की लाइव-स्ट्रीमिंग भी की जा रही है।  स्नान यात्रा में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, और देवी सुभद्रा को स्नान कराया जाता है। देवस्नान इस साल बृहस्पतिवार को है। यह हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रथ यात्रा उत्सव 23 जुलाई को संपन्न होगा।

मंदिर के आस-पास सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा

गौर हो कि इस बार कोरोना की वजह से श्रद्धालुओं को शामिल होने की अनुमति नहीं है।  स्नान पूर्णिमा पहंडी के साथ सुबह 01:00 बजे प्रारंभ होगी और 04:00 बजे समाप्त होगी, पहंडी का अर्थ देवताओं की पैदल यात्रा से है। स्नान के बाद  भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) 15 दिनों तक विश्राम करेंगे और रथ यात्रा के दौरान दोबारा प्रकट होंगे। इस बार प्रशासन के आदेश की वजह से मंदिर के बाहर किसी भी तरह की भीड़ नहीं है।  स्नान यात्रा के दौरान मंदिर के आस-पास सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू है।

स्नान के बाद भगवान हो जाते हैं बीमार 

स्नान पूर्णिमा के बाद छेरा पहनरा की रस्म पुरी के राजा दिब्यासिंह देव द्वारा सुबह 10:30 से शुरू की जाएगी। छेरा पहनरा रस्म के दौरान देवताओं के स्नान स्थल की सफाई की जाती है। उसके बाद  छेरा पहनरा के बाद सुबह 11:00 बजे से लेकर 12:00 बजे तक सभी सभी देवताओं को गजानन बेशा या हती बेशा के साथ सुसज्जित किया जाएगा। पौराणिक परंपरा के मुताबिक स्नान करने के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा बीमार पड़ जाते हैं इसीलिए उन्हें अनसरा घर ले जाया जाता है।

श्रद्धालुओं की गैर-मौजूदगी में होगी रथ यात्रा 

रथ यात्रा से जुड़े सभी कार्यक्रमों का आयोजन श्रद्धालुओं की गैर-मौजूदगी में किया जाएगा। रथ यात्रा में केवल सेवक और मंदिर प्रशासन से जुड़े अधिकारी ही हिस्सा लेंगे।  स्नान यात्रा के दौरान मंदिर के आस-पास सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू रहेगी मंदिर के सामने वाली ग्रैंड रोड पर किसी को भी एकत्र होने की अनुमति नहीं होगी।  विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा 12 जुलाई को बिना श्रद्धालुओं के होगी। रथ यात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, और देवी सुभद्रा के रथों को खींचकर गुंडिचा मंदिर लाया जाएगा जोकि मुख्य मंदिर से करीब तीन किलोमीटर दूर है। रथ यात्रा 12 जुलाई को सुबह साढ़े आठ बजे शुरू होगी और रथों को खीचने की प्रक्रिया शाम चार बजे से शुरू होगी। इसके बाद तीनों देवताओं को 23 जुलाई को मुख्य मंदिर में वापस लाया जाएगा।

कोरोना के मद्देनजर बरती जा रही है पूरी ऐहतियात 

पिछले साल की तरह इस साल भी श्रद्धालुओं को रथ यात्रा में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी।कुमार के मुताबिक पहली जांच 24 जून को होने वाली स्नान यात्रा से पहले होगी, दूसरी जांच 12 जुलाई को गुंडिचा यात्रा (मुख्य कार्यक्रम) से पहले होगी, तीसरी जांच 20 जुलाई को आयोजित बहुदा यात्रा से पहले होगी जबकि चौथी जांच 23 जुलाई को नीलाद्री बीजे (उत्सव के बाद भगवान की मंदिर में वापसी) के 15 दिन बाद होगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा एसजेटीए यह सुनिश्चित करेगा कि यात्रा की तैयारियों में हिस्सा ले रहे सभी सेवादारों को कोविड-19 टीके की दोनों खुराक लगी हो।
 

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