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Shimla Hanuman Mandir: शिमला के जाखू मंदिर में मौजूद हैं हनुमान जी के पद चिन्‍ह, 108 फीट ऊंची है दिव्‍य मूर्ति

Jakhu Temple Shimla
Updated Feb 02, 2021 | 17:46 IST

शिमला के हनुमान मंदिर में आज भी मौजूद हैं हनुमान जी के पद चिन्ह। इस मंदिर में भक्तों की मांगी हर मुराद पूरी हो जाती है।

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Jakhu Temple ShimlaJakhu Temple Shimla
Jakhu Temple Shimla
मुख्य बातें
  • शिमला में स्थित हनुमान मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है।
  • इस जगह आज भी हनुमान जी के पद चिन्ह देखने को मिलते है।
  • मंदिर के बाहर बंदरों की संख्या काफी देखने को मिलती है।

Shimla ke hanuman mandir ki kahani: शिमला में स्थित हनुमान मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में जो भी मुरादे भक्त सच्चे मन से मांगते हैं, वह बहुत जल्दी पूरी हो जाती है। इस जगह आज भी हनुमान जी के पद चिन्ह देखने को मिलते है। यह मंदिर समुद्र तल से 8040 फीट की ऊंचाई वाले जाखू पहाड़ पर स्थित है। इस मंदिर में देश-विदेश से लोग दर्शन करने आते हैं।

मंदिर के बाहर बंदरों की संख्या काफी देखने को मिलती है। जाखू मंदिर के प्रांगण में ही हनुमान जी की 108 फीट ऊंची विशाल मूर्ति स्थापित है। जिसे शिमला के किसी भी कोने से आसानी के साथ देखा जा सकता है। तो आइए जाने शिमला में स्थित हनुमान मंदिर की पौराणिक कहानी।

शिमला के हनुमान मंदिर की कहानी

पौराणिक कहानी के अनुसार राम और रावण के बीच जब युद्ध हो रहा था। उस दौरान लक्ष्मण जी के मूर्छित हो जाने पर संजीवनी बूटी लाने के लिए हनुमान जी हिमालय की ओर आकाश मार्ग से जा रहे थे। उसी समय उनकी नजर यहां तपस्या कर रहे यक्ष ऋषि पर पड़ी थी। उस समय हनुमान जी आकाश मार्ग से नीचे उतरकर ऋषि के पास गए।

हनुमान जी विश्राम करने और संजीवनी बूटी का परिचय प्राप्त करने के लिए जाखू पर्वत के जिस स्थान पर उत्तरे थे, वहां आज भी उनके पांव के चिन्ह संगमरमर से बने हुए हैं। यश ऋषि से संजीवनी बूटी का परिचय लेने के बाद हनुमान जी ने यक्ष ऋषि से मिलकर जाने का वादा किया था। हनुमान जी यश ऋषि से वादा करने के बाद द्रोण पर्वत की तरफ चल पड़े। मार्ग में कालनेमि नामक राक्षस के कुचक्र में फंसने के कारण समय का काफी अभाव हो गया। जिस कारण से हनुमानजी छोटी मार्ग से अयोध्या होते हुए चल पड़े।

अधिक समय व्यतीत हो जाने के कारण वह वापस लौटते समय यक्ष ऋषि से नहीं मिल पाएंये। जिससे यश ऋषि बहुत ही व्याकुल हो गए। बाद में हनुमान जी ने अपने वचन को रखने के लिए उन्हें दर्शन दिया। उसके बाद उस स्थान पर हनुमान जी की स्वयंभू मूर्ति प्रकट हुई थी। जिसे लेकर यक्ष ऋषि ने यहीं पर हनुमान जी की मंदिर बनवा दी। आज भी यह मूर्ति आंगन में ही स्थापित हैं।  दूर-दूर से लोग हनुमान जी का दर्शन आसानी से कर पाते हैं।

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