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Jitiya Vrat 2021 Puja: संतान की दीर्घायु के लिए रखते हैं जितिया व्रत, जानें पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त

Updated Sep 29, 2021 | 18:36 IST

Jitiya Vrat Pujan vidhi: जितिया व्रत पुत्र की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। इसका संबध पाण्डवों से है। इस बार ये व्रत 29 सितंबर यानि बुधवार को है।

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Jitiya Vrat pujan vidhi
मुख्य बातें
  • जितिया व्रत तीन दिनों तक चलता है
  • व्रत का जिक्र महाभारत में भी मिलता है
  • इस व्रत से संतान की तरक्‍की होती है

Jitiya Vrat 2021: जितिया व्रत पुत्र की लंबी आयु की कामना  के लिए रखा जाता है। इस साल जितिया या जीवित्पुत्रिका का व्रत 29 सितंबर यानि बुधवार को रखा जाएगा। इसके नियम काफी सख्त होते हैं। व्रत की शुरूआत सप्तमी तिथि के दिन नहाय-खाय से होती है। अष्टमी तिथि के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। व्रत का पारण नवमी तिथि के दिन सूर्योदय के बाद होता है।  तो क्या है व्रत के नियम और किन चीजों की पूजा में होगी जरूरत जानिए पूरी डिटेल। 

जितिया व्रत पूजन विधि 

  • इस व्रत को रखने के लिए महिलाएं सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 
  • इसके बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें। पूजन के लिए कुशा से निर्मित प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें। 
  • आप चाहे तो मिट्टी या गाय के गोबर से बनी मूर्ति का भी उपयोग कर सकते हैं। 
  • इसके अलावा चील और सियरिन की मूर्ति बनाएं। इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाएं।
  • मीठे पूए और फल व मिठाई चढ़ाएं। साथ ही देवी मां को 16 पेड़ा, 16 दूब की माला, 16 खड़ा चावल, 16 गांठ का धागा, 16 लौंग, 16 इलायची, 16 पान, 16 खड़ी सुपारी व श्रृंगार का सामान अर्पित करें। 
  • अब  जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा कहें या सुनें। ऐसा करने से भक्‍तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होगी और वंश की वृद्धि होगी। 

आवश्‍यक पूजा सामग्री 

धूप-दीप, अक्षत, पुष्प, फल, गाय के गोबर से बनी सियारिन और चील की प्रतिमा, जीमूतवाहन की कुशा से निर्मित प्रतिमा, मिट्टी के पात्र आदि। 

पूजन के लिए शुभ मुहूर्त 

अष्टमी तिथि प्रारंभ- 28 सितंबर शाम 06:16 बजे से

अष्टमी तिथि समाप्त- 29 सितंबर रात 8: 29 बजे

इस मंत्र का करें जाप 

जितिया व्रत की पूजा के दौरान देवी मां को प्रसन्‍न करने के लिए कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।। मंत्र का जाप करें। 

क्‍यों रखा जाता है जितिया व्रत 

जीवित्पुत्रिका व्रत का वर्णन महाभारत में भी आता है। इसका संबध पाण्डवों के प्रपौत्र परिक्षित के मृत्यु के बाद पुनः जीवित होने से जोड़ते हैं। मान्‍यता है कि इस दिन व्रत रखने से वंश की वृद्धि होती है, साथ ही मनोकामनाएं पूरी होती है। इस व्रत में तीसरे दिन सूर्य को अर्घ्‍य देने के बाद महिलाएं अन्‍न ग्रहण कर सकती हैं। पारण वाले दिन झोर भात, मरुवा की रोटी और नोनी का साग खाया जाता है। 

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