- काली चौदस पर काली पूजा से मिलती है समस्त सांसारिक कष्टों से मुक्ति
- काली चौदस को मां काली के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है
- इस दिन सूर्यास्त से पूर्व सरसों का उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए
काली चौदस को नरक चौदस या रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन देवी काली की पूजा हर किसी को करनी चाहिए। साथ ही कुछ संस्कार भी इस दिन निभाने चाहिए। माना जाता है की काली चौदस पर यदि मनुष्य सूर्योदय पूर्व उठकर सरसों का उबटन लगाकर स्नान करता है तो उसके सभी रोग, पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं। ऐसा करने वाले मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होती हैं और समस्त सांसारिक कष्ट दूर हो जाते हैं। कुछ पुराणों में यह भी लिखा है कि इस दिन उबटन लगाने से सौंदर्य की प्राप्ति भी होती है। काली चौदस 2020 में 14 नवंबर को है।
दरअसल चतुर्दशी का पर्व यमराज के निमित्त मनाया जाता है। इस दिन नर्क चतुर्दशी भी होती हैं और इस दिन रात में यम का दीया निकालने का भी विधान होता है। माना जाता है कि इस दिन यदि मनुष्य खाने-पीने के बाद रात में यम का दीया दक्षिण दिशा में घर के बाहर निकालता है तो उसके और उसके परिवार पर से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है, लेकिन इस दिन एक और पर्व होता है काली पूजा का। इस दिन मां काली के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है। यही कारण है कि इस दिन को काली चौदस कहा जाता है और इस दिन देवी की पूजा से शत्रु भय, रोग अन्य तरह के सांसारिक कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही इस दिन काली पूजा करने से जादू-टोना, बेरोजगारी, बीमारी, शनि दोष, कर्ज़, बिजनेस में हानि आदि की समस्याएं दूर हो जाती हैं।
काली चौदस पूजा सामग्री
अगरबत्ती, धूप, फूल, काली उरद दाल, गंगा जल, हल्दी, हवन सामग्री, कलश, कपूर, कुमकुम, नारियल, देसी घी, चावल, सुपारी, शंख, पूर्णपतत्र, निरंजन, लकड़ी जलाने के लिए लाइटर, छोटी-छोटी और पतली लकड़ियां, घन्टा(बेल), गुड़, लाल, पीले रंग रंगोली के लिए, कॉटन की बॉल्स आदि सामग्री को इस पूजा में इस्तेमाल की जाती है।
ऐसे करें काली चौदस पूजा
काली चौदस पूजा करने से पहले अभ्यंग स्नान करना होता है। ऐसी मान्यता है कि अभ्यंग स्नान करने से व्यक्ति नरक में जाने से बच जाता है। इसके बाद जब आप काली पूजा में बैठे तो किसी न किसी सुंगध का शरीर में प्रयोग जरूर करें। इसके बाद मां काली की मूर्ति की स्थापना एक चौकी पर करें और चौकी पर आसन लाल रंग का दें। इसके बाद दीप जलाएं और ऊपर दी गई पूजा सामग्री को काली मां के निमित्त अर्पित करें। इसके बाद काली चालीसा, आरती और ध्यान लगाएं।