- धनतेरस का त्योहार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है
- इस दिन आरोग्य के लिए भगवान धनवंतरि की पूजा का भी विधान है
- धन प्राप्ति के लिए इस दिन लक्ष्मी जी और कुबेर का पूजन होता है
कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं। यह त्योहार दीपावली आने की पूर्व सूचना देता है। इस दिन नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान धनवंतरी की पूजा का महत्व है। मान्यता है कि इसी दिन लक्ष्मी जी और भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन के दौरान अवतरित हुए थे।
Dhanteras 2020 Tithi, Date
दीपावली के 5 दिनों के त्योहार मनाने की शुरुआत धनतेरस से होती है। इस दिन से ही दीप जलने भी शुरू हो जाते हैं। साल 2020 में धनतेरस का पर्व 13 नवंबर को मनाया जाएगा।
त्रयोदशी तिथि आरंभ : 12 नवंबर 2020 की रात 9:30 बजे से
त्रयोदशी तिथि समापन : 13 नवंबर 2020 की शाम 05:59 बजे तक
Dhanteras 2020 shubh Muhurat
धनतेरस 2020 पर प्रदोष काल : 05:43 PM to 08:18 PM
धनतेरस 2020 पर वृषभ काल : 05:47 PM to 07:45 PM
अगर आप धनतेरस या धन त्रयोदशी पर पर लक्ष्मी पूजन करते हैं तो इसे आप प्रदोष काल में ही करें। ये सूरज ढलने के बाद शुरू होता है और आमतौर पर 2 घंटे 24 मिनट तक के लिए रहता है।
धनतेरस का त्योहार कैसे मनाते हैं (why and how we celebrate Dhanteras)
जैन आगम में धनतेरस को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' भी कहते हैं। भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये। तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
कहते हैं कि धन्वन्तरि हाथों में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे। यही वजह है कि धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परंपरा है। मान्यता ये भी है कि इस दिन जो चीज खरीदी जाती है, उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। तभी लोग सोने व चांदी की खरीदारी भी करते हैं। इस अवसर पर लोग धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं।
धनतेरस के दिन दीप जलाकर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें। भगवान धन्वन्तरि से स्वास्थ और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें। चांदी का कोई बर्तन या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें। नया बर्तन खरीदें जिसमें दीपावली की रात भगवान श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं।
इसके अलावा लक्ष्मी पूजन और कुबेर पूजन के लिए घर के पूजा स्थल पर दीप दान करें। साथ ही अकाल मृत्यु को दूर करने के लिए घर के मुख्य द्वार पर भी दीप दान करें।