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Kamada Ekadashi 2021: कामदा एकादशी व्रत से म‍िलता है यज्ञ के समान पुण्य, बिना किसी गलती के ऐसे करें व्रत पारण

Updated Apr 23, 2021 | 19:17 IST

हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी, कामदा एकादशी मानी जाती है जिस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कामदा एकादशी का व्रत पारण विधि अनुसार करना चाहिए।

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कामदा एकाशी 2021 का पारण
मुख्य बातें
  • 23 अप्रैल को शुक्रवार के दिन है हिंदू नव वर्ष की पहली एकादशी।
  • एकादशी व्रत को सर्वश्रेष्ठ व्रत माना जाता है, इस व्रत को करने वाले भक्तों का उद्धार होता है।
  • व्रत का पारण बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, कामदा एकादशी व्रत का पारण भी विधि अनुसार करना चाहिए।

आज यानी 23 अप्रैल को भगवान विष्णु के भक्त हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी, कामदा एकादशी व्रत कर रहे हैं। कामदा एकादशी का व्रत बेहद कल्याणकारी माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। जो भक्त कामदा एकादशी का व्रत करता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं तथा उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मान्यताओं के अनुसार, यह भी कहा जाता है कि जो भक्त कामदा एकादशी व्रत रखता है उसे यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। कामदा एकादशी हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाई जाती है। पद्म पुराण के अनुसार, धर्मराज युधिष्ठिर को भगवान विष्णु ने एकादशी व्रत का महत्व बताया था और कहा था कि एकादशी व्रत सभी व्रत में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। व्रत की तरह ही व्रत का पारण, विधि अनुसार करना चाहिए।

अगर आप भी कामदा एकादशी व्रत रख रहे हैं तो यहां जानिए इस व्रत का पारण कब और कैसे करना है।

Kamada Ekadashi 2021 Paran Date and Time, कामदा एकादशी 2021 पारण तिथि और मुहूर्त

  1. एकादशी व्रत पारण तिथि: - 24 अप्रैल 2021
  2. एकादशी व्रत पारण मुहूर्त: - 24 अप्रैल 2021, सुबह 05:47 से लेकर 08:24 तक


Kamada Ekadashi vrat ka paran kaise karein, कामदा एकादशी व्रत पारण विधि

कामदा एकादशी व्रत के पारण तिथि पर सुबह नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान कर लीजिए और साफ कपड़े पहन लीजिए। अब भगवान विष्णु का ध्यान कीजिए और दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाकर भगवान विष्णु का आह्वान कीजिए। फिर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप कीजिए। मंत्र का जाप करने के बाद भगवान विष्णु को जल, फूल और भोग लगाएं।

इसके पश्चात भगवान विष्णु से व्रत में हुई भूल-चूक को माफ करने के लिए प्रार्थना कीजिए। अंत में शाकाहारी और लहसुन और प्याज के बिना खाना बनाइए और गरीबों को दान कीजिए। दान करने के बाद इसी भोजन को ग्रहण कीजिए और अपना व्रत खोल लीजिए।

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