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Kamada ekadashi 2021: शुभ फल देती है ह‍िंदू नव वर्ष की पहली एकादशी, पढ़ें कामदा एकादशी की व्रत कथा ह‍िंदी में

Updated Apr 23, 2021 | 08:02 IST

सनातन धर्म में एकादशी तिथि बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत किया जाता है। एकादशी तिथि बेहद कल्याणकारी होती है। हिंदू नव वर्ष की पहली एकादशी कामदा एकादशी मानी जाती है।

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kamada ekadashi 2021
मुख्य बातें
  • हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी होती है कामदा एकादशी, इसलिए काफी महत्वपूर्ण है यह तिथि।
  • पापों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए कामदा एकादशी व्रत किया जाता है।
  • अत्यंत कल्याणकारी मानी जाती है कामदा एकादशी, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

हर वर्ष कामदा एकादशी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाई जाती है। यह तिथि बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यह एकादशी हिंदू वर्ष की पहली एकादशी होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। कहा जाता है कि कामदा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा विधि अनुसार करने से वह प्रसन्न होते हैं तथा सभी पाप मिट जाते हैं। इस एकादशी पर पापों से मुक्ति तो मिलती ही है साथ में मोक्ष प्राप्ति भी होती है। 

जो भक्त कामदा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करता है तथा कथा कहता है या सुनता है उसे संपूर्ण फल मिलता है। कामदा एकादशी व्रत करने वाले भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

यहां जानें, कामदा एकादशी की पौराणिक एवं प्रसिद्ध कथा।

Kamada ekadashi vrat katha : कामदा एकादशी व्रत कथा

बहुत समय पहले पुंडरीक नाम का एक नागों का राज्य था जहां अप्सराएं, गंधर्व और किन्नर रहते थे। इन्हीं अप्सराओं में एक अतिसुंदर अप्सरा थी जिसका नाम ललिता था। वह अपने पति ललित के साथ इस राज्य में रहती थी। ललित नाग दरबार में गायक और नृतक था। ललिता और ललित एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। एक दिन राजा पुंडरीक के दरबार में कर्कोटक नाम के एक नाग देवता मौजूद थे। ललित को गाने का आदेश देकर राजा पुंडरीक कर्कोटक नाग देवता के साथ आनंद ले रहे थे। 

ललित गाने में लीन था तभी उसे अपनी पत्नी की याद आ गई जिसकी वजह से उससे भूल हो गई। नाग देवता ने ललित से हुई गलती को पकड़ लिया जिसके बाद राजा पुंडरीक ने उसे राक्षस बनने का श्राप दिया। राक्षस बनने के बाद ललित बहुत बुरा दिखने लगा। पति को श्राप मिलने की खबर सुनकर उसकी पत्नी ललिता बहुत दुखी हो गई और अपने पति को इस श्राप से छुड़ाने के लिए चिंता करने लगी। जब ललिता अपने पति को पाप से मुक्ति दिलाने के लिए उपाय ढूंढ रही थी तब उसे एक मुनि मिले जिन्होंने ललिता को कामदा एकादशी व्रत के बारे में बताया। 

मुनि की बात मानकर ललिता ने उनके आश्रम में कामदा एकादशी का व्रत किया तथा व्रत से मिलने वाले लाभ से अपने पति को ठीक कर दिया। कामदा एकादशी व्रत के लाभ से ललित अपने पापों से मुक्त हो गया और पहले की तरह एक सुंदर बन गया।

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