- देवी आराधना के साथ क्षमा यचना भी जरूर करें
- क्षमा याचना हमेशा शाम के समय ही करनी चाहिए
- अनजाने में हुए अपराध को देवी क्षमा कर देती हैं
कई बार जाने-अनजाने गलतियां होती रहती हैं,लेकिन शायद आपको पता न हो कि इन गलतियों से कई बार देवी-देवता भी नाराज हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी कि पूजा-पाठ के साथ देवगणों को प्रसन्न रखने और अपनी गलतियों की क्षमा याचना समय-समय पर की जाती रहे। देवी अपराध क्षमा स्त्रोत एक ऐसा ही पाठ है, जिसे करने से देवी पूजा के दौरान या अजाने-अनजाने में जो कुछ भूल आपसे हुई होती है वह माफ हो जाती है। देवी अपराध क्षमा स्त्रोत का पाठ आपको देवी पूजा के बाद वैसे तो हमेशा करना चाहिए, लेकिन यदि संभव न हो तो कम से कम शुक्रवार के दिन जरूर कर लें।
मान्यता है कि देवी का ये अपराध क्षमा स्त्रोत बहुत ही असरकारी और शक्तिशाली होता है। देवी शक्ति का रूप होती हैं और यदि इस स्त्रोत को रोज पाठ किया जाए तो दैवीय शक्ति का कुछ अंश पढ़ने वाले को भी मिलता है। यानी ऐसे लोगों में दैवीय कृपा अधिक होती है और ऐसे लोग यदि प्रसन्न हो जाए और आशीर्वाद दे तो वह भी फलीभूत हो जाता है। वहीं यदि ऐसे लोग नाराज हो जाएं तो इनके श्राप का असर बहुत तगड़ा होता है।
देवी अपराध क्षमा स्त्रोत का नियमित रूप से पाठ करने से जातक के अनजाने में हुए पाप नष्ट हो जाते हैं और मन में शुद्ध विचार का वास होता है। स्त्रोत का पाठ करने वालों की भूल-चूक को देवी क्षमा कर अपना प्रिय भक्त बना लेती हैं। तो आइए जानें क्या है, देवी अपराध क्षमा स्त्रोत।
देवी अपराध क्षमा स्तोत्र
न मन्त्रं नो यन्त्रं तदापि च न जाने स्तुतिमहो
न चाह्वानं ध्यानं तदापि च न जाने स्तुतिकथाः ।
न जाने मुद्रास्ते तदापि च न जाने विलपनं
परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥ 1॥
विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् ।
तदेतत्क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥2॥
पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः सन्ति सरलाः
परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः ।
मदीयोऽयं त्यागः समुचितमिदं नो तव शिवे
कुपुत्रो जायते क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥3॥
जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता
न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया ।
तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 4॥
परित्यक्ता देवा विविधविधसेवाकुलतया
मया पञ्चाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि ।
इदानीं चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भविता
निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम् ॥ 5॥
श्र्वपाको जल्पा को भवति मधुपाकोपमगिरा
निरातङ्को रङ्को विहरति चिरं कोटिकनकैः ।
तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं
जनःको जानीते जनानि जपनीयं जपविधौ ॥ 6॥
अपराध क्षमा स्त्रोत शाम के समय देवी पूजा के बाद करना चाहिए। इसके लिए देवी के समक्ष आसन लगा कर बैठें और सामने एक दीप जला लें। देवी से पहले अपने अपराध के लिए स्वयं क्षमा मांगे और फिर इस पाठ को पूरा करें। बीच में पाठ को छोड़ कर कभी न उठें।