- देवी सती को समर्पित है कोकिला व्रत का पवित्र पर्व, इस वर्ष 23 जुलाई के दिन पड़ रही है यह तिथि।
- हर वर्ष आषाढ़ पूर्णिमा पर पड़ती है कोकिला व्रत की तिथि, आषाढ़ पूर्णिमा से प्रारंभ होकर श्रावण पूर्णिमा तक किया जाता है कोकिला व्रत।
- शादीशुदा महिलाओं को इस व्रत से मिलता है अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान, कुंवारी लड़कियों के लिए भी यह व्रत है बेहद महत्वपूर्ण।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष आषाढ़ पूर्णिमा पर कोकिला व्रत का पर्व मनाया जाता है जो शादीशुदा महिलाओं और कुमारी कन्याओं के लिए बेहद अनुकूल माना गया है। इस वर्ष कोकिला व्रत 23 जुलाई शुक्रवार के दिन रखा जाएगा।
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कोकिला व्रत तिथि: - 23 जुलाई 2021, शुक्रवार
कोकिला व्रत पूजा मुहूर्त: - शाम 07:17 से 09:22 तक
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: - 23 जुलाई 2021 सुबह 10:43
पूर्णिमा तिथि समापन: - 24 जुलाई 2021 सुबह 08:06
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हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यह तिथि देवी सती और भगवान शिव को समर्पित है। इस व्रत के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है जिसके अनुसार जब राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में देवी सती को अपमान सहना पड़ा था तब उन्होंने अग्नि में आहुति दे दी थी। जब भगवान शिव को यह पता चला था तब उन्होंने देवी सती को श्राप दिया था कि वह 10 हजार वर्षों तक कोयल का रूप धारण किए रहेंगी। कहा जाता है कि जो महिला यह व्रत करती है उसे अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है इसके साथ उसके पति की आयु में वृद्धि होती है। वहीं, जो कुंवारी कन्याएं यह व्रत करती हैं उन्हें योग्य वर मिलता है। इस दिन महिलाएं किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करती हैं और मिट्टी से कोयल बनाकर उसकी पूजा करती हैं।
कोकिला व्रत का महत्व, कोकिला व्रत क्या होता है
सनातन धर्म में कोकिला व्रत को बहुत पवित्र और कल्याणकारी व्रत माना गया है। इस दिन महिलाएं विधि-विधान के अनुसार देवी सती और भगवान शिव की पूजा-आराधना करती हैं। विवाहित महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण और अनुकूल माना गया है। कहा जाता है कि जो शादीशुदा महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं वह अपने जीवन में कभी विधवा नहीं होती हैं इसके साथ उनके पति की उम्र लंबी होती है। दूसरी ओर, जो कुंवारी कन्याएं क्या व्रत रखती हैं उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है।