- चाणक्य ने विवाद से बचने के लिए मौन धारण करने को कहा है
- पति-पत्नी को एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करना चाहिए
- किसी के प्रति अवधारणा बनाने से बचना चाहिए
चाणक्य ने अपनी नीतियों के माध्यम से यह समझाया है कि विवाद में पड़ने का मतलब है कि मनुष्य का ज्ञान या दूदर्शिता कम है। विवाद कई विवाद को जन्म देता है और इसका अंत हमेशा दर्दनाक होता है। ऐसे में हर मनुष्य को यह प्रयास करना चाहिए कि वह विवाद में न पड़े और जहां विवाद की स्थित हो वहां से बच निकले। चाणक्य ने यहां तक कहा है कि विवाद केवल बाहरियों से ही नहीं, यदि जीवन साथी से भी हो तो भी इससे बचने के उपाय करने चाहिए। चाणक्य ने विवाद की स्थिति से बचने के कुछ उपाय बताए हैं, जिसे अपना कर आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं।
इन उपायों को अपना कर आप विवाद से बच सकते हैं
मौन रहना सीखें: चाणक्य का कहना है कि जो व्यक्ति मौन रहना सीख जाता है वह विवाद की स्थिति में नहीं पड़ता। मौन में बहुत शक्ति होती है। यह विवाद को जन्म लेने से पहले ही खत्म कर देता है। ये एक ऐसा हथियार है जो सामने वाले को खुद हार मनवा देता है। इसलिए जब भी विवाद की स्थिति हो या विवाद में आप पड़ जाएं खुद को मौन रख लें। चाणक्य ने कहा है कि दांपत्य जीवन में होने वाले विवादों को केवल मौन रह कर आसानी से दूर किया जा सकता है।
सम्मान करना सीखें: दांपत्य जीवन में विवाद जन्म न ले इसके लिए सम्मान करना सीखें। जिस घर में पति-पत्नी एक दूसरे के विचारों का सम्मान करते है वहां विवाद की स्थिति नहीं आती। सम्मान की कमी विवाद को जन्म देती है। पति और पत्नी का रिश्ता नाजुक होता है, इसलिए इस रिश्ते में सत्यता और भरोसे को कभी खत्म नहीं होने देना चाहिए।
कानाफूसी से दूर रहें : किसी की बातों में आकर किसी के लिए दुर्भावना रखना या उसके प्रति द्वेश रखना अंत्यत ही गलत होता है। कान का कच्चा होना आपके खुद के रिश्ते और संबंध को घुन की तरह खाने लगता है। इसलिए किसी की बातों में कभी न आएं और न ही किसी और के मुंह से किसी और की बातों को सुने और विश्वास करें।
अवधारणा बनाने से बचें : चाणक्य का कहना है कि जो व्यक्ति अपने जीवनसाथी या किसी के प्रति पहले ही अवधारणा बना लेता है, वह निश्चित तौर पर खुद के लिए गलत कर रहा होता है। किसी के चाल-चलन या बोली से किसी के लिए अपने मन से कोई अवधारणा बना लेना गलत होता है और ये विवाद का कारण बनता है। इसलिए खुद जांच-परखने के बाद ही किसी के लिए कोई विचार बनाना चाहिए।
आचार्य चाणक्य की ये बातें बहुत ही सामान्य हैं, लेकिन इनका प्रभाव व्यापक होता है। इसलिए अपने आप को विवाद से बचाने का प्रयास करें।