- धनु संक्रांति पर सूर्यदेव की पूजा से खुलता है भाग्य
- यश-कीर्ति और सफलता के लिए खरमास में करें सूर्य पूजा
Dhanu Sankranti 2020: सूर्यदेव जब भी किसी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहा जाता है। 15 दिसंबर मंगलवार यानी आज से सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए इसे धनु संक्रांति कहा जाता है। सूर्य आज वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इस दिन सूर्य अराधना का विशेष महत्व होता है। यदि मनुष्य अपने पापकर्मों से मुक्ति चाहता है और किसी भी कार्य में सफलता चाहता है तो उसे इस दिन सूर्यदेव की विधिवत पूजा करनी चाहिए। हालांकि, खरमास में पूरे माह सूर्य और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा जरूर करनी चाहिए। धनु संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा करने के साथ उनके बीज मंत्र और गायत्री मंत्र का जाप करना बहुत ही पुण्यकारी मानाग या है। इस दिन पवित्र नदियों के जल में स्नान करने से मनुष्य के पापकर्म नष्ट होते हैं।
जानें, धनु संक्रांति का महत्व
हिन्दू धर्म में धनु संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य की अराधना से मनुष्य सूर्य के समान तेजस्वी बनता है। उसकी किरणों के समान उसके भविष्य उज्जवल और यशस्वी होता है। सूर्यदेव जातक के भाग्य कारक होते हैं। इसलिए उनकी पूजा से भाग्योदय होता है और कार्य में आ रही रुकावटें भी दूर होती हैं। इस दिन पूजा करने से भविष्य जातक का सूर्य की भांति चमक उठता है। सूर्य पूजा से यश-कीर्ति,पद-प्रतिष्ठा पदोन्नति होती है।
ऐसे करें सूर्य की आराधना
संक्रांति का दिन सूर्य साधना करने से सूर्य कुंडली में तेज होता है और इस सूर्य के निमित्त दान-पुण्य भी करना चाहिए। सूर्य के लिए दान सूर्यास्त से पूर्व करना चाहिए।
सूर्य की उपासना के मंत्र
ऊं सूर्याय नम:
तंत्रोक्त मंत्र
ऊँ ह्यं हृीं हृौं स: सूर्याय नम:।
ऊं जुं स: सूर्याय नम:।
सूर्य का पौराणिक मंत्र
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम।
तमोहरि सर्वपापघ्नं प्रणतोडस्मि दिवाकरम्।
सूर्य का वेदोक्त मंत्र-विनियोग
ऊँ आकृष्णेनेति मंत्रस्य हिरण्यस्तूपऋषि, त्रिष्टुप छनद:
सविता देवता, श्री सूर्य प्रीत्यर्थ जपे विनियोग:।
मंत्र : ऊँ आ कृष्णेन राजसा वत्र्तमानों निवेशयन्नमृतं मत्र्य च।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।
सूर्य गायत्री मंत्र
1. ऊँ आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्न: सूर्य प्रचोदयात्।
2. ऊँ सप्ततुरंगाय विद्महे सहस्त्रकिरणाय धीमहि तन्नो रवि: प्रचोदयात्।
अर्थ मंत्र
ऊँ एहि सूर्य ! सहस्त्रांशो तेजोराशि जगत्पते।
करूणाकर में देव गृहाणाध्र्य नमोस्तु ते।।
सूर्य मंत्र ‘ऊँ सूर्याय नम: का जाप व्यक्ति किसी भी काम को करते हुए कर सकता है। हालांकि सूर्यास्त से पूर्व ही इस मंत्र का जाप करना चाहिए। खरमास के पूरे माह इस मंत्र का जाप जरूर करें।