- सूर्य देव को अर्घ्य देने से कष्टों से मिलती है मुक्ति
- सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है रविवार का दिन
- नवग्रहों के राजा हैं भगवान सूर्य
Surya Dev Sunday Vrat Puja vidhi: हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी ना किसी देवी-देवता की पूजा के लिए समर्पित होता है। इसी तरह रविवार का दिन भगवान सूर्य देव की पूजा के लिए महत्वपूर्ण होता है। लेकिन सूर्य देव की पूजा करने के कुछ नियम और विधि होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। भगवान सूर्य देव तेज और सकारात्मक शक्ति के देवता हैं और इनकी पूजा से व्यक्ति को भी इसकी प्राप्ति होती है। इसलिए विशेषकर रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा जरूर करें। जानते हैं क्या है सूर्य देव की पूजा की विधि और नियम, जिससे प्रसन्न होंगे नवग्रहों के राजा भगवान सूर्य।
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रविवार के दिन पूजा पाठ करने और व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और दुखों का नाश होता है। अगर आप भी रविवार का व्रत रखते हैं या पूजा-पाठ करते हैं तो जानें रविवार व्रत की पूजा-विधि, नियम और महत्व के बारे में...
रविवार पूजा विधि (Ravivar Puja Vidhi)
रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लेना चाहिए। स्नान के बाद साफ और हल्के रंग के कपड़े पहनें। फिर सूर्य देव का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। तांबे के लोटे में लाल फूल, अक्षत, जल, शक्कर, लाल चंदन या रोली मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। फिर पूजा की तैयारी करें। घर के मंदिर या पूजा स्थान पर एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर सूर्य देव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। सूर्य देव की मूर्ति या तस्वीर पर रोली, अक्षत, सुपारी, फूल और फल चढ़ाएं और धूप दीप दिखाएं। फिर रविवार व्रत कथा का पाठ करें। सूर्य देव की आरती करें।
रविवार पूजा के नियम (Ravivar Puja Rules)
- सूर्योदय से पहले ही बिस्तर छोड़ देना चाहिए।
- रविवार का व्रत रख रहे हैं तो इस दिन नमक का सेवन का करें।
- रविवार के दिन मांस-मंदिरा का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
- रविवार व्रत के दिन सुबह और संध्या सूर्य देव को अर्घ्य देकर प्रणाम करें।
रविवार व्रत का महत्व (Ravivar Vear Importance)
रविवार के दिन पूजा व व्रत करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और आयु, आरोग्य, धन, पुत्र, यश, विद्या, वैभव और सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं। यही कारण है कि रविवार व्रत करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ ठीक रहता है और आयु लंबी होती है। उसे धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती और सुख-सौभग्य और मान-सम्मान में निरंतर वृद्धि होती है। साथ ही ग्रह दोष भी दूर होते हैं।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)